Ranchi: एक करोड़ के इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल दा झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है. अनल दा ने बुंडू-चांडिल इलाके में अपना ठिकाना बनाया है. यह खुलासा पुलिस के समक्ष सरेंडर करने वाले दस लाख के इनामी नक्सली सुरेश मुंडा ने किया है. सुरेश मुंडा ने कहा कि एक करोड़ के इनामी नक्सली मिसिर बेसरा पोड़ाहाट इलाके में सक्रिय है, जबकि एक करोड़ का इनामी नक्सली अनल दा बुंडू-चांडिल इलाके में सक्रिय है.
नक्सलियों का रणनीतिकार है अनल दा
कोल्हान इलाके में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की ओर से लगातार अभियान चलाया जा रहा है. सुरक्षाबलों द्वारा की जा रही चौतरफा घेराबंदी के बावजूद नक्सली कोल्हान क्षेत्र के सरायकेला और चाईबासा के इलाकों को छोड़ने के मूड में नहीं हैं. यही कारण है कि लगातार इस इलाके में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हो रही है. यह सवाल बार-बार उठता है कि आखिर नक्सलियों की अगुवाई कौन कर रहा है.
पुलिस और मीडिया में जो छवि बनी है, उसमें सबसे आक्रामक छवि एक करोड़ के इनामी सेंट्रल कमेटी का सदस्य पतिराम मांझी उर्फ अनल दा की है. कोल्हान में बड़ी घटनाओं को अंजाम देकर पतिराम मांझी पुलिस को चुनौती दे रहा है. बताया जा रहा है कि कोल्हान के इलाके में नक्सलियों का असली रणनीतिकार पतिराम मांझी उर्फ अनल दा है. उसकी रणनीति पर ही नक्सली यहां अपना गढ़ बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
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एनआईए की रडार पर है पतिराम मांझी उर्फ अनल दा
एक करोड़ के इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल दा एनआईए की रडार पर है. एनआईए ने पतिराम मांझी को कांड संख्या आरसी 11/2017 औऱ 19/2018 में वांटेड घोषित कर रखा है. इसके अलावा एनआईए ने पतिराम मांझी पर पांच लाख का इनाम घोषित किया है.
गौरतलब है कि पतिराम मांझी की तलाश में राज्य पुलिस और सीआरपीएफ, जगुआर पुलिस, कोबरा बटालियन जुटी हुई है. उसे पकड़ पाना इतना आसान नहीं दिख रहा है. क्योंकि वह केवल पतिराम मांझी उर्फ अनल दा के ही नाम से नहीं जाना जाता है, बल्कि उसके और भी नाम हैं. वह किसी भी नाम का सहार लेकर पुलिस को चकमा देकर निकलने में सफल हो सकता है.
कौन है अनल दा
अनल दा गिरिडीह जिले पीरटांड़ प्रखंड के जरहा का रहने वाला है. उसका असली नाम पतिराम मांझी है. 1987 से 2000 तक वह पीरटांड़-टुंडी-तोपचांची इलाके में गोपाल दा के नाम से चर्चित था. इस दौरान इस इलाके में उसने अपना सिक्का चलाया. यही वह दौर था, जब नक्सली यहां मजबूत हुए. सूत्रों के अनुसार, बाद में उसे जमुई भेज दिया गया. जमुई में वह एक बार गिरफ्तार हुआ था. इसके बाद उसे 2000 में गिरिडीह जेल लाया गया. गिरिडीह जेल से जमानत पर निकलने के बाद उसने रांची, गुमला की कमान संभाल ली. इसके बाद पतिराम मांझी को गिरिडीह का कमान दिया गया था. गिरिडीह में पुलिस के बढ़ते दबिश से पतिराम गिरिडीह छोड़कर कोल्हान इलाके को अपना ठिकाना बनाया. यहीं से उसने बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया. वह लगातार पुलिस को चुनौती दे रहा है.
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