Ranchi: फरवरी महीने में कांग्रेस और जेएमएम के बीच काफी खींचतान चली. भाषा विवाद समेत कई मुद्दों पर सरकार और कांग्रेस में मतभेद दिखा. नये प्रभारी अविनाश पांडेय के आने के बाद प्रदेश कांग्रेस कई बदलाव हुए. गिरिडीह में चिंतन शिविर लगा. फरवरी में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने 12वें मंत्री पर पार्टी का स्टैंड क्लीयर किया. सरकार में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सम्मान दिलाने का वादा किया. वहीं मंत्री रामेश्वर उरांव ने भोजपुरी को झारखंड की भाषा मानने से इनकार किया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड संयुक्त बिहार में ही अच्छा था. वहीं आलमगीर आलम ने कहा कि 1932 के आधार पर स्थानीय नीति का मामला विचाराधीन है. पंचायत चुनाव को लेकर भी उनके कई बयान आये. राजेश ठाकुर, आलमगीर आलम और रामेश्वर उरांव के फरवरी के 28 दिनों में दिये गये 28 बड़े बयानों को पढ़िये.
फरवरी में राजेश ठाकुर के दिये गये बयान
27 फरवरी- 31 मार्च 2022 तक झारखंड कांग्रेस विशेष सद्स्यता अभियान के तहत झारखंड में 15 लाख नये सद्स्य बनायेगी.
25 फरवरी- डिजिटल सद्स्यता अभियान की परेशानियों का निपटारा किया जा रहा है. किसी भी स्तर पर हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उत्साहजनक तरीके से इस सदस्यता अभियान को गति प्रदान करनी है.
20 फरवरी- धनबाद एवं बोकारो जिला से भोजपुरी एवं मगही भाषा को हटाने का निर्णय लेने से पूर्व सरकार को अपने सहयोगी दलों से सलाह-मशवरा करनी चाहिए थी. पहले के लिये गये निर्णय से पीछे हटने से मैसेज अच्छा नहीं जा रहा है.
20 फरवरी- प्रदेश में कांग्रेस के समर्थन से गठबंधन की सरकार चल रही है,इस नाते हमारी दोहरी जिम्मेवारी बनती है. विडंबना है कि समावेशी विकास और डबल इंजन सरकार की बात करनेवालों ने जनता को लगातार छलने का काम किया है.
15 फरवरी- दलितों, अल्पसंख्यक, ओबीसी, अनुसूचित जनजाति की मान-सम्मान में कभी कमी नहीं आने देगें और बीस सूत्री एवं निगम बोर्ड में किसी भी तरह जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी नहीं की जाएगी.
11 फरवरी- भाषा विवाद को लेकर हेमंत सोरेन सरकार गंभीर है. राज्य में सभी का ख्याल रखा जाये. इस पर पूरा ध्यान है. इस मामले में गठबंधन दल की सरकार चिंतन कर रही है.
10 फरवरी- जहां एक परिवार होता है, चार-पांच भाई होते हैं. उसमें भी थोड़ी बहुत खींचतान रहती है, कोई चिंता करने की बात नहीं है. कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है. कांग्रेस पूरी तरह से एकजुट है.
9 फरवरी- 12वें मंत्री को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही फैसला लेंगे.12वें मंत्री को लेकर मीडिया में कोई भी बात नहीं होगी. जो भी निर्णय लिया जाएगा, वह तीनों दल और मुख्यमंत्री के साथ वार्ता के उपरांत लिया जाएगा. यह मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में है कि वह 12वें मंत्री को लेकर क्या फैसला लेते हैं.
7 फरवरी- झारखंड के गठबधन सरकार की मजबूती के लिए संगठन को मजबूत करेंगे. राहुल गांधी ने जो निर्देश दिया है, उसे धरातल पर उतारेंगे. कांग्रेस विधायकों में कोई नाराजगी नहीं है.
2 फरवरी- भोजपुरी और मगही भाषा को लेकर उठे विवाद पर सरकार जल्द निर्णय लेगी. सरकार के स्तर पर बातचीत की जा रही है. जो जन भावनाएं हैं, उसका ख्याल रखा जा रहा है. अगर किसी क्षेत्र में भोजपुरी, मगही या मैथिली बोली जाती है तो उस क्षेत्र में इस बात का सरकार ख्याल रखेगी.
1 फरवरी- देश का वेतनभोगी वर्ग, मध्यम वर्गीय परिवार, कोरोना महामारी और कमर तोड महंगाई से राहत की उम्मीद कर रहा था लेकिन इन्हें आम बजट से निराशा हाथ लेगी. इन सबों के साथ विश्वासघात किया गया.
रामेश्वर उरांव ने फरवरी में क्या-क्या कहा
27 फरवरी- आंकड़े जनकल्याण की योजनाएं बनाने के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं. इससे समाज के लक्षित लोगों तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देना आसान होता है.
20 फरवरी- भोजपुरी झारखंड की भाषा नहीं है. अंग्रेज भारत आकर रहने लगें तो भारत की भाषा अंग्रेजी को राज्यल भाषा का दर्जा दे देंगे क्या. झारखंड बिहार से अलग हुआ है तो भाषा की चर्चा होनी चाहिए. भोजपुरी यहां की भाषा नहीं हैं.
17 फरवरी- झारखंड में गठबंधन सरकार का मुख्य उद्देश्य विकास करना है. सरकार राज्य के जनता की समस्या का निदान करने एवं सहयोग कर सही जानकारी देने के लिए है. सरकार गरीबों को धोती, साड़ी, लुंगी दे रही है. जिसे 65 लाख लोगों को लाभ देना है.
16 फरवरी- अगर राशन कार्ड धारक को डीलर अनाज कम देता है, तो उस पर प्रशासन बेझिझक कार्रवाई करे.
12 फरवरी- बिहार ही बढ़िया था. झारखंड बनने के बाद शुरू से ही राज्य और जनता के हित में काम नहीं हुआ. झारखंड में शुरू से जो होना चाहिए था वह काम हुआ नहीं. मैं इसके कारण में जाना नहीं चाहता, लेकिन बिहार इससे बढ़िया था.
10 फरवरी- झारखंड सरकार दुबियाखाड़ आदिवासी विकास महाकुंभ मेला को राज्य स्तरीय पहचान दिलाने को संकल्पित है.
2 फरवरी- सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाए यहां के लोगों को ध्यान में रख कर बनाई जा रही है. समाज के अंतिम योग्य व्यक्ति को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले. इस उद्देश्य के साथ सरकार निरंतर कार्य कर रही है.
1 फरवरी- लोहरदगा जिला में हुए जमीन सर्वे में कई गड़बड़ियां हैं, जिसके निराकरण के लिए पुन: सर्वे कराया जाएगा. पूर्व के वर्षों में हुए सर्वे के कार्य में सर्वे के बाद भी बुझारत का कार्य नहीं किया गया.
फरवरी महीने में आलमगीर आलम के बयान
28 फरवरी- 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति का मामला विचाराधीन है. सरकार इसपर जल्द निर्णय लेगी. स्थानीय नीति में संशोधन के लिए त्रिसदस्यीय मंत्रिमंडल उपसमिति सरकार के पास विचाराधीन है.
20 फरवरी- झारखंड में कांग्रेस मजबूत है और आनेवाले दिनों में और मजबूत होगी. सरकार पूरी तरह से सफल है और अपने एजेंडे पर काम कर रही है. कांग्रेस में कोई विवाद नहीं है. सरकार भी पूरे सामंजस्य के साथ चल रही है.
18 फरवरी- राज्य में जल्द ही पंचायत चुनाव कराये जायेंगे़. राज्य को पहले ही बहुत घाटा हुआ है़. राज्य को नुकसान हो रहा है, ऐसी स्थिति में चुनाव कराना जरूरी है़.
18 फरवरी- मनरेगा मजदूरों का जल्द मजदूरी भुगतान के लिए केंद्र सरकार से राशि मिलेगी. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से बात हुई है. दो तीन-दिनों में मनरेगा की अगली किस्त की राशि विमुक्त कर दी जायेगी.
15 फरवरी- मनरेगा के मजदूरी भुगतान में एकरूपता की जरूरत है. केंद्र सरकार इस योजना मद में मजदूरी भुगतान में न्यूनतम मजदूरी के गाइड लाइन का पालन नहीं कर रही है. इससे मजदूरों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
14 फरवरी- यह देश आस्था पर टिकी हुई है. भारत में बसने वाले लोगों की अलग-अलग आस्था है. यह धर्मनिरपेक्ष राज्य है. किसी के आस्था पर प्रहार नहीं होना चाहिए. हमारे देश की जो रिवाज है, परंपरा है उसे बरकरार रहने देना चाहिए.
3 फरवरी- पूरे राज्य में मतदाता सूची प्रकाशन की तैयारी अंतिम चरण में है. पंचायत चुनाव में विलंब से विकास कार्य में कोई रूकावट नहीं आया है. गांव-गांव में विकास कार्य लगातार जारी है.
2 फरवरी- मनरेगा के तहत राज्य में लाखों योजनाएं संचालित हो रही है. इसमें कई छोटी-छोटी शिकायतें मिलती है. अब लोकपालों की नियुक्ति से ऐसे छोटे-छोटे मामलों का जिला स्तर पर ही निपटारा हो जाएगा और योजनाओं की मॉनिटरिंग से लोगों को काफी फायदा मिलेगा.
2 फरवरी- भोजपुरी और मगही भाषा को लेकर उठे विवाद पर सरकार जल्द निर्णय लेगी. सरकार के स्तर पर बातचीत की जा रही है. जो जन भावनाएं हैं, उसका ख्याल रखा जा रहा है. अगर किसी क्षेत्र में भोजपुरी, मगही या मैथिली बोली जाती है तो उस क्षेत्र में इस बात का सरकार ख्याल रखेगी.