Bismay Alankar
Hazaribagh : हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के सिरसी मौजा के चर्चित सरकारी जमीन लूट मामले में केवल भू-माफिया ही सक्रिय नहीं हैं. इस अतिक्रमण मामले एक पुलिस दम्पत्ति का भी मामला आ रहा है. कहा जाता है कि इसे थाने और अंचल कार्यालय से अभयदान मिला हुआ है . सिरसी मौजा के गैरमजरूआ खास जंगल झाड़ भूमि पर अतिक्रमण का जिस पुलिसकर्मी दम्पति पर आरोप है उनका नाम ज्ञानेश्वर राम है, जो इस समय जैप 7 में कार्यरत है. वहीं उसकी पत्नी बसंती देवी जयप्रकाश केंद्रीय कारा हज़ारीबाग़ में कार्यरत है .इन पर खाता संख्या-251 के 4 अलग अलग भूखंडों पर प्लाट नम्बर -882 रकवा-0.50 एकड़,खाता 251 प्लॉट 848 रकवा -1.50 एकड़ (नोटिस निर्गत),खाता 251 प्लॉट 848 रकवा 0.70 एकड़ (नोटिस निर्गत),खाता 251 प्लॉट 849 रकवा 0.14 एकड़ ( नोटिस निर्गत)पर अतिक्रमण का आरोप है.
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2018 से मामला चल रहा है
इस अतिक्रमण के खिलाफ इनपर 2018 से मामला चल रहा है. जिसमें 2019 को पत्रांक-754 तिथि 10.08.2019 को आदेश निकला जिसमें थाना प्रभारी कटकमदाग को पुलिस बल के साथ दिनांक 16.08.2019 को अतिक्रमण वाद 03/2017-18 के तहत खाता -251 प्लॉट -848 रकवा 1.36 एकड़ सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश था. इस आदेश के बाद भी पुलिस के रुतबे के कारण थाने से कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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3 एकड़ भूभाग पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण का आरोप
पुलिसकर्मी ज्ञानेश्वर पर और अलग अलग 3 प्लाट पर लगभग 3 एकड़ भूभाग पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण का आरोप है .चूंकि मामला लंबा खींचता रहे इसके लिए एक प्लाट संख्या 848 जिसमें केवल 1.36 एकड़ जमीन पर मामला है. यह मामला उपायुक्त हज़ारीबाग़ के पास लंबित है .इस लंबित मामले के अवधि के दौरान भी पुलिसिया हनक, अंचल और थाने के सह के कारण धड़ल्ले से अतिक्रमण और वहां निर्माण कार्य जारी रहा.इस पुलिसकर्मी पर केवल जमीन अतिक्रमण का ही मामला नहीं है अपने पिता को 1991 में बंदोबस्त किए गए ज़मीन जिसका खाता नम्बर 251 प्लाट 882 रकवा 0.50 एकड़ जमीन थी उसमें से 6 डिसमिल जमीन चंदराज गिरी को भी बेचने का आरोप है .यहां भी मामला बंदोबस्त ज़मीन को फ़र्ज़ी तरीके से बेचने का आरोप है.यहां बड़ी बात यह है कि तत्कालीन रजिस्ट्रार ने ऐसी जमीन की रजिस्ट्री कैसे कर दी.
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अंचल निरीक्षक सारी बातों को जानते हैं
जानकारी के अनुसार आरोपी का 4 प्लाट पर अतिक्रमण है.जबकि केवल 1 प्लाट का ममला उपायुक्त के यहां लंबित है. लेकिन अंचल निरीक्षक सारी बातों को जानते हुए यह कहते हैं कि ये मामला उपायुक्त के पास लंबित है, इसलिए अपर समाहर्ता के एफआईआर के निर्देश का पालन नहीं किया जा सकता. जबकि बाकी के तीन प्लाट पर खुद अंचल ने अपनी रिपोर्ट में उपायुक्त तक को बताया है कि पुलिस दम्पत्ति ने लगातार अतिक्रमण किया है .अंचल निरीक्षक दिलीप कुमार गुप्ता,अंचलाधिकारी और थाने के इस गठबंधन का नतीजा है कि पिछले कई वर्षों से लंबित इस मामले में न एक भी अतिक्रमण हटाया गया और न ही प्राथमिकी दर्ज की गयी. जबकि झारखंड लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम 2000 के तहत स्पष्ट निर्देशित है कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का कोई भी मामला अंचल स्तर पर 3 महीने में किसी भी सूरत में निष्पादित हो जाना चाहिए.