LagatarDesk : देश की सबसे बड़ी एयरलाइ कंपनी इंडिगो की परिचालन करने वाली कंपनी इंटरग्लोब एविएशन कंपनी के संचालन में खामियां थी. साथ ही कंपनी ने सूचीबद्धता प्रावधानों का भी उल्लंघन किया था. कंपनी ने सेबी के साथ अपने सारे विवाद को सुलझा लिया. सेबी के आदेश पर इंडिगो ने 2.1 करोड़ रुपये का निपटान शुल्क दिया. इंडिगो ने बिना अपनी गलतियों को स्वीकार किये मामले का निपटारा कर लिया. यह मामला कंपनी के सह प्रवर्तक राकेश गंगवाल ने उठाये थे.
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सेबी ने कंपनी को जारी की थी नोटिस
कंपनी के सह प्रवर्तकों गंगवाल और राहुल भाटिया के बीच कंपनी संचालन के कुछ मामलों पर मतभेद रहे हैं. गंगवाल के आरोपों को भाटिया खेमे ने खारिज कर दिया था. गंगवाल ने जुलाई 2019 में सेबी को पत्र लिखकर कंपनी संचालन से जुड़े कुछ मुद्दों को सुलझाने की मांग की थी. सेबी ने 10 नवंबर 2020 को इंटरग्लोब एविएशन को नोटिस जारी करके कारण बताओ कहा था.
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निवेशकों को नहीं दी गयी थी कंपनी की सारी जानकारियां
सेबी ने बताया कि 8 फरवरी को इंटरग्लोब ने सेटलमेंट का पेमेंट कर दिया. मामले की जांच में यह पता चला कि काफी सारे मामलों का खुलासा इंटरग्लोब की ओर से नहीं किया गया. IPO के दौरान सेबी को दी गयी जानकारी में निवेशकों के लिए काफी सारे खुलासे नहीं किये गये थे.
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इंटरग्लोब के प्रमोटर ने की थी शिकायत
इंटरग्लोब के एक प्रमोटर ने इस मामले में IPO के करीबन 4 साल बाद शिकायत की थी. इस शिकायत में मैनेजमेंट कंट्रोल से संबंधित शिकायतें की गयी थी. इसमें शेयरों के ट्रांसफर से जुड़े मामलों पर भी शिकायत की गयी थी. सेबी ने बताया कि इस तरह की ढेर सारी शिकायतें कंपनी के खिलाफ मिली थीं, जिनकी जांच पूरी होने पर इंटरग्लोब ने सेटलमेंट के लिए अप्लीकेशन फाइल किया.
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कंट्रोलिंग अधिकार के मामले में नियमों का नहीं किया पालन
इंटरग्लोब ने कोर्ट से बाहर समझौते के लिए एक कंसेंट अप्लीकेशन सेबी के पास फाइल की थी. सेबी ने 2019 में गवर्नेंस के मामले में छानबीन की थी. इसमें पता चला कि गंगवाल और राहुल भाटिया ने कंट्रोलिंग अधिकार के मामले में नियमों का पालन नहीं किया था. साथ ही कई फैसले बिना किसी सेफगार्ड के लिए गये थे.
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