Ranchi : झारखंड में हर साल पांच हजार से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इन दुर्घटनाओं में तीन हजार से ज्यादा मौतें होती हैं. इसपर रोकथाम के लिए राज्य सरकार की ओर से अच्छी पहल की गयी है. अब राज्य सरकार घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित करेगी. राज्य सरकार ने इसे लेकर संवेदनशीलता दिखायी है. इसका परिचय देते हुए झारखंड गुड स्मारिटन पॉलिसी को सरकार ने स्वीकृति दी है. ताकि सड़क हादसे में घायलों की मदद के लिए लोग आगे आएं और किसी के भी जीवन की रक्षा हो सके.
गौरतलब है कि 2020 में कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण दुर्घटनाओं में कमी से मौतों में गिरावट दर्ज की गयी है. इस साल अक्टूबर तक 3366 सड़क हादसे हुए और इनमें 2294 लोगों की मौत हुई है. दुघर्टना में अधिकांश मौत युवाओं की हो रही है.
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पुलिस के सवालों का अब नहीं है डर, बेफिक्र होकर करें घायलों की मदद
झारखंड में सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मृत्यु दर ज्यादा है. क्योंकि अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि सड़क दुर्घटना होने के बाद कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आता है. इसकी वजह ऐसे मामलों में मदद करने वाले को पुलिस के परेशान करने वाले सवाल हैं. लेकिन अब सरकार ने ऐसे नेक लोगों के संरक्षण के लिए नियम बना दिये हैं.
सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की जीवन रक्षा के लिए गोल्डन ऑवर (प्रथम 60 मिनट) में उपचार सर्वाधिक प्रभाव होता है. लेकिन पुलिस के सवाल-जवाब से लेकर कानूनी प्रक्रिया को लेकर लोग जल्दी ऐसे में मदद के लिए आगे नहीं आते हैं.
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा और सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद लोग निश्चिंत होकर कर सकते हैं. क्योंकि घायलों का मदद के लिए ही झारखंड गुड स्मार्टियन पॉलिसी को मंत्रिपरिषद ने स्वीकृति दी है. यानि अब लोगों को घायलों की मदद के बाद पुलिस के सवालों के पचड़े में नहीं पड़ना पड़ेगा.
क्या है खास इस पॉलिसी में
– सरकारी कर्मी और जन प्रतिनिधियों पर भी सड़क दुर्घटना में घायल को मदद करने की जिम्मेवारी
– दुर्घटना के एक घंटे यानी गोल्डेन ऑवर में घायल को अस्पताल पहुंचाने पर दो हजार रुपये
– दो व्यक्ति अगर किसी घायल को नजदीकी अस्पताल पहुंचाते हैं, तो दोनों को दो- हजार देने की योजना
– दो से अधिक लोग किसी घायल को अस्पताल पहुंचाते हैं, तो पांच हजार रुपये सरकार देगी. उक्त राशि सभी के बीच समान रूप से वितरित किया जाएगा.
– दुर्घटना से संबंधित जानकारी लेने की स्थिती में पुलिस को हर पूछताछ के लिए नेक नागरिक के बैंक एकाउंट में डालना होगा एक हजार रुपये.
– पुलिस की ओर से गुड स्मार्टियन को अपनी पहचान बताने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा.
– गुड स्मार्टियन को मरीज को अस्पताल में पहुंचाने के बाद अनावश्यक रोका नहीं जाएगा.
– सवाल-जवाब के क्रम में पुलिस की ओर से संज्ञान नहीं लिया जाएगा.
– गवाही के लिए विशेष परिस्थिति में ही तथा न्यूनतम बार उन्हें सम्मन जा सकेगा.
– सड़क सुरक्षा कोष से जिला परिवहन पदाधिकारी गुड स्मार्टियन को पैसे का भुगतान करेंगे.
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