Shailesh Singh
Kiriburu : जगन्नाथपुर थाना अन्तर्गत जैतगढ़ व आसपास के गांवों में गरीबों की मजबूरी का फायदा उठा कर सूदखोर उनका भारी शोषण करने में लगे हैं. बता दें कि, सूदखोरी वह व्यवस्था होती है जिसमें कर्ज अत्यधिक ब्याज पर या कोई अनैतिक तरीके से दिया जाता है. इस व्यवस्था में कर्ज लेने वाले का लाभ नहीं बल्कि कर्ज देने वालों का लाभ प्रधान होता है. वहीं, जैतगढ़ के गरीबों के साथ हो रहे इस अन्याय का पता चलने पर जब लगातार न्यूज के संवाददाता नेे जैतगढ़, रामचन्द्रपुर आदि गांवों का दौरा किया तो रामचन्द्रपुर गांव में दो अत्यंत गरीब महिला मिली. इसमें से एक महिला ने बताया की उसने 15 हजार जबकि दूसरी महिला ने 20 हजार रुपये जैतगढ़ के एक प्रतिष्ठित सूदखोर मिश्रा से एक वर्ष पूर्व सूद पर लिए थे. इस मामले में एसपी अजय लिंडा ने जांच हेतु जगन्नाथपुर थाना पुलिस को जैतगढ़ व रामचन्द्रपुर भेजा. लगातार न्यूज को उन्होंने बताया की अगर कोई पीड़ित शिकायत लेकर आयेंगे तो आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
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पैसे नहीं देने पर घर पर कब्जा करने की मिलती है धमकी
महिलाओं ने बताया कि मिश्रा हर सप्ताह पांच हजार रुपये के एवज में 350 रुपये यानी 15 हजार के एवज में 1050 रुपये प्रत्येक सप्ताह के शनिवार को वसूली करता है. पैसे नहीं देने पर वह पुलिस को बुलाकर घर पर कब्जा करने की बात कहता है. उक्त महिलाओं में एक वृद्ध महिला हाट-बाजार में झाडू़ बिक्री कर अपना गुजारा करती है. उसने बताया की वह आज तक कर्ज से मुक्त नहीं हो पाई है और अभी भी 15 हजार में से 10 हजार रुपये कर्ज देना बाकी है, जबकि सूद निरंतर दे रहे है.
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जैतगढ़ के निवासी गोप ने लिये थे ढा़ई लाख रुपये
जैतगढ़ के निवासी गोप ने बताया की वह भी मिश्रा और उसके बेटे से लगभग ढा़ई लाख रुपये कुछ वर्ष पूर्व कर्ज लिये थे. ढा़ई लाख रुपये के एवज में उसे प्रत्येक सप्ताह 20 हजार (महीना 80 हजार) रुपये देने पड़ते हैं. गोप ने कहा कि अब तक लिये कर्ज के एवज में 10 लाख रुपये से अधिक की राशि सिर्फ सूद के रूप में दे चुका है. लेकिन अभी भी ढा़ई लाख का कर्ज यथावत बना हुआ है. गरीबों से मिलने वाली सूद के पैसे से मिश्रा निरंतर नये-नये वाहन खरीद ऐसों-आराम की जिंदगी जी रहा है. वहीं, गरीब और गरीब होते जा रहे हैं.
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पुलिस थाने में शिकायत करने से डरते हैं गरीब
सूदखोरी का शिकार हुए गरीबों ने बताया की वह पुलिस थाने में शिकायत इसलिए नहीं करने जाते हैं क्योंकि मिश्रा प्रभावशाली है. उसका पुलिस के साथ उठना बैठना रहता है. दूसरी तरफ हम गरीब हैं और कर्ज का पैसा वापस नहीं कर पा रहे हैं. कोर्ट-कचहरी का चक्कर कहां लगा पायेंगे. गौरतलब हो कि झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमों की सरकार है. झामुमो सुप्रीमों शिबु सोरेन ऐसे हीं सुदखोर, महाजनी प्रथा के खिलाफ संघर्ष कर आज झामुमो को सत्ता में लाये हैं. लेकिन आज भी झारखंड से यह समाप्त नहीं हो पा रहा है. बड़ा सवाल यह है कि जैतगढ़, रामचन्द्रपुर जैसे गांवों के गरीबों को ऐसे सूदखोरों से कैसे मुक्ति मिलेगी तथा इन्हें मुक्ति कौन दिलायेगा.
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