Ranchi: झारखंड पुलिस में सिपाही से लेकर डीएसपी रैंक के अधिकारियों को नहीं मिल रही है प्रोन्नति. प्रमोशन की आस लिए सिपाही से लेकर डीएसपी तक रिटायर हो रहे हैं. डीएसपी बनने की ललक लिए इंस्पेक्टर स्तर के कई अधिकारी अब तक रिटायर हो चुके हैं. डीएसपी बनने का उनका सपना अब टूटता नजर आ रहा है.
इसे भी पढ़ें –झारखंड के 11 जिले कोरोना मुक्त, जानें किन जिलों में हैं कितने मरीज
24 आईपीएस अधिकारियों के भी पद हैं खाली
झारखंड में प्रमोशन नहीं होने से 24 आईपीएस अधिकारियों के पद भी खाली हैं. साल 2017 में नौ, 2018 में चार और 2019 में पांच आईपीएस रिटायर हुए थे, वहीं साल 2020 में भी छह प्रमोटी आईपीएस अधिकारी रिटायर हुए थे, ये सभी पद अभी तक खाली हैं. इन पदों पर प्रमोशन का इंतजार कर रहे कई अफसर भी आईपीएस बनने की चाहत लिए ही रिटायर हो चुके हैं. जबकि इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले ही लिखा था कि साल 2017 से 19 तक की पेंडिंग सिलेक्शन लिस्ट प्राथमिकता के आधार पर बनाई जाए, ताकि पुलिस सेवा के अफसरों को प्रोन्नति दी जा सके.
एएसपी और सीनियर डीएसपी के 77 पद 74 खाली
झारखंड पुलिस में एएसपी और सीनियर डीएसपी के 77 पद हैं जिनमें से 74 खाली है. वर्तमान में झारखंड पुलिस में एएसपी के 39 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 37 खाली पड़े हुए हैं. जबकि सीनियर डीएसपी के 38 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 37 खाली पड़े हुए हैं. बताया जा रहा है कि द्वितीय सिविल सेवा के मामले में चल रही जांच की वजह से ही उन्हें प्रोन्नति नहीं मिल पा रही है.
रोक हटने के बाद भी नहीं मिल रही है प्रोन्नति
सीनियर डीएसपी और एएसपी पदों पर विभागीय प्रोन्नति की बैठक बीते एक दिसंबर 2020 और 23 दिसंबर 2020 को आयोजित हुई थी. इसी दौरान कार्मिक प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग के द्वारा राज्य सरकार की सभी सेवाओं और पदों में प्रगति पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई थी. कार्मिक प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग द्वारा प्रगति पर से रोक हटाने के बाद सीनियर डीएसपी और एएसपी के पदों पर राज्य सेवा के पुलिस अधिकारियों को प्रोन्नति नहीं मिल पा रही है.
राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के मनोबल पर पड़ रहा असर
दूसरी ओर द्वितीय सिविल सेवा के माध्यम से राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर बने लोगों के विरुद्ध भी जांच कर चल रही है. इसके बावजूद उन्हें सशर्त प्रोन्नति दी जा चुकी है. ऐसे में राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को भी उसी तर्ज पर सरकार चाहे तो प्रोन्नति दे सकती है, लेकिन यह नीतिगत मामला है, और विभाग को ही इसका फैसला कर विभागीय मंत्री सह मुख्य मंत्री से इजाजत लेनी होगी. वैसे विभाग चाहे तो जिनके विरुद्ध जांच चल रही है, उन्हें छोड़कर या बाइपास कर अन्य सक्षम लोगों को प्रोन्नति दी जा सकती है. लेकिन प्रोन्नति नहीं मिलने से कहीं न कहीं राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के मनोबल पर असर पड़ रहा है.
इसे भी पढ़ें –NSO सर्वे : शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घटी, अप्रैल-जून 2021 में 12.6 फीसदी रही