Ranchi : सरकारी नियमों को ताक पर रखकर नौकरी करने, सरकारी खातों से 170 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान करने सहित कई गंभीर मामलों में फंसे ज्रेडा (झारखंड रिन्यूएबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार सहित तीन अधिकारियों पर एसीबी जांच चल रही है. इस दौरान इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ़ ईडी ने अपनी जांच तेज कर दी है. ईडी ने झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड (जेयूएसएनएल) से निरंजन कुमार के कार्यकाल का डिटेल्स मांगा है. ईडी ने निगम से यह भी जानकारी मांगी है कि निरंजन कुमार के कार्यकाल में कितने टेंडर फाइनल हुए, क्या काम हुआ और किन-किन योजनाओं पर काम हुआ.
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गलत तरीके से दिया था टेंडर
एसीबी ने प्रारंभिक जांच में निरंजन कुमार के विरुद्ध लगे आरोपों को सत्य पाया था. जांच में पता चला था कि निरंजन कुमार ने जाली बैंक गारंटी के बावजूद हैदराबाद की कंपनी को गलत तरीके से टेंडर दिया और उस फाइल को दबाए रखा. साल 2019 में जब नए निदेशक अशोक कुमार ने पदभार ग्रहण किया तो इसका खुलासा हुआ. इसके बाद रांची के डोरंडा थाने में कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई. जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ज्रेडा के लिए कोई आइएएस, आइएफएस या टेक्निकल अफसर ही निदेशक बनने योग्य है. इसके बावजूद निरंजन कुमार बिना योग्यता के पहले निदेशक बने.
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निरंजन कुमार पर क्या हैं आरोप
इन्होंने सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ रुपये का भुगतान किया. इन पर सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने तथा विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा की शर्तें बदलने का आरोप है. भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के वरीय पदाधिकारी निरंजन कुमार पर आरोप है कि वे बिना अर्हता पूरी किए पुराने परिचय का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल व ज्रेडा के निदेशक पद पर बने रहे. 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र या कार्मिक विभाग ने नहीं किया. ये पद पर बने रहे और वेतन भी उठाते रहे.
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