LagatarDesk: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में केंद्र सरकार लगातार वृद्धि कर रही है. पिछले महीने से ही इसकी कीमतों में आग लगी हुई है. सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी का कारण अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि को बता रही हैं. सच्चाई तो ये है कि हम 29.34 रुपये प्रति लीटर वाले पेट्रोल की कीमत 95 रुपये से अधिक चुका रहे हैं. वहीं डीजल का बेस प्राइस 30 रुपये 55 पैसे था, जिसके लिए जनता 86 रुपये से अधिक पैसे देने पड़ रहे हैं.
1 फरवरी 2021 को दिल्ली में तेल का दाम और उस पर टैक्स
विवरण | पेट्रोल रुपये/लीटर | डीजल रुपये/लीटर
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बेस प्राइस | 29.34 | 30.55
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भाडा़ व अन्य खर्चे | 0.37 | 0.34 |
डीलर का रेट (Excise Duty और VAT को छोड़कर) | 29.71 | 30.89
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Excise Duty | 32.98 | 31.83
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डीलर का कमिशन | 3.69 | 2.54
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VAT (डीलर के कमिशन के साथ) | 19.92 | 11.22
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आपको मिलता है | 86.3 | 76.48 |
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स वसूली में 5वें स्थान पर भारत
भारत में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार सबसे अधिक एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है. सरकार हर लीटर पर 32 रुपये अधिक वैट लेती है. वैट और सेस लगाकार सरकरा लोगों के जेब से अपना जेब में पैसे भर रही है. इसके अलावा पेट्रोल-डीजल पर भाड़ा और डीलर का कमीशन भी जुड़ता है, जो आम जनता से ही लिया जाता है. राजस्थान में पेट्रोल पर वैट 36% और डीजल पर 26% है. पहले यहां सबसे अधिक वैट लगाया जाता था.
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लक्षद्वीप में पेट्रोल-डीजल में वैट नहीं लगता
अब वैट वसूलने के मामले में मणिपुर सबसे आगे हो गया है. यहां पेट्रोल पर 36.50% और डीजल पर 22.50% टैक्स वसूला जा रहा है. बड़े राज्यों में तमिलनाडु में पेट्रोल पर 15% और डीजल पर 11% टैक्स वसूला जाता है. लेकिन यहां वैट के साथ पेट्रोल पर 13.02 रुपये और डीजल पर 9.62 रुपये प्रति लीटर सेस (उपकर) भी वसूला जाता है. ज्यादातर राज्य अभी पेट्रोल-डीजल पर सेस वसूल रहे हैं. लक्षद्वीप एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां वैट नहीं लिया जाता है.
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5 साल में दोगुनी हुई केंद्र सरकार की कमाई
पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर एक्साइज ड्यूटी लगाकर केंद्र सरकार ने 2019-20 में 3.34 लाख करोड़ रुपये कमाये हैं. मई 2014-15 में एक्साइज ड्यूटी से 1.72 लाख करोड़ कमाई हुई थी, यानी सिर्फ 5 सालों में ही एक्साइज ड्यूटी से कमायी दोगुनी हो गयी है.
राहत की उम्मीद कम
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को संसद को बताया था कि तेल कीमतों के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई से कम करने के लिए सरकार, उत्पाद शुल्क में कमी करने के बारे में विचार नहीं कर रही है. प्रधान ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें बढ़ गयी हैं क्योंकि मांग में सुधार को देखते हुए एक वर्ष से भी अधिक समय में पहली बार कच्च तेल की कीमत 61 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई पर जा पहुंचा है. खुदरा बिक्री मूल्य के पेट्रोल कीमत का 61 फीसदी और डीजल कीमत पर 56 फीसदी से अधिक भाग केंद्र और राज्य करों का होता है.
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