Pravin Kumar
Ranchi : मनरेगा योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. लेकिन इस योजना में गबन और घोटाले भी होते हैं. इस राशि की वसूली में जिला प्रशासन रुचि नहीं ले रहा है. इसके प्रमाण मनरेगा सॉफ्ट में स्पष्ट देखे जा सकते हैं. जिला स्तर पर मनरेगा योजना के क्रियान्वयन का जिम्मेवारी उप विकास आयुक्त , प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर मुखिया तक की होती है. ऐसे में योजना में हुई अनियमितता, गड़बड़ी और घोटालों की राशि वसूली मनरेगा कर्मी से लेकर बीडीओ एवं मुखिया तक से की जानी है. लेकिन राज्य में ऐसा होता नहीं है.
सोशल ऑडिट में पकड़ी गयी गड़बड़ी
मनरेगा योजनाओं के सामाजिक अंकेक्षण में कई तरह की अनियमितता सामाने आयी है. सोशल ऑडिट के बाद तैयार की गयी एक्शन टेकन रिपोर्ट के तथ्य यह बताते है कि झारखंड में इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा. 2017-18 ,2018 -19 और 2019 -2020 की रिपोर्ट के अनुसार तीन वर्षों में 49 करोड़, 19 लाख, 50 हजार से अधिक राशि का गबन किया गया. इसमें मात्र एक करोड़ 64 लाख की ही रिकवरी की जा सकी है. वर्ष 2017-18 ,2018-19 और 2019-2020 में क्रमश: 1678, 1810 और 1084 पंचायतों में सोशल ऑडिट किया गया था.
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2017-18 में 5.04 प्रतिशत राशि की ही वसूली हो पायी
मनरेगा के तहत चलनेवाली योजनाओं में अनियमितता रोकने के मकसद से सोशल ऑडिट शुरू किया गया था. ऑडिट होने के बाद गबन की गयी राशि की वसूली के लिए एक्शन टेकन रिपोर्ट भी बनायी गयी. लेकिन 2017-18 में मात्र 5.04 प्रतिशत गबन की गयी राशि ही विभाग वसूल पाया है. वसूली के काम में उप विकास आयुक्त ध्यान नहीं दे रहे हैं. गबन का खेल बदस्तूर जारी है.
वर्ष् 2017-18 में अनियमितता के कुल 18625 मामले सामने आये. इनमें 16 करोड़, 40 लाख, 67 हजार से अधिक योजना राशि की गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ. वसूली मात्र 82 लाख, 61 हजार, 161 रुपये ही हो सकी.
2018 -19 में 3.28 फीसदी राशि ही वसूल पाया विभाग
2018 -19 में कुल 1810 पंचायतों में सोशल ऑडिट किया गया था. एक्शन टेकन रिपोर्ट के अनुसार 18 करोड़, 94 लाख, 93 हजार 121 रुपये की कुल 38828 योजनाओं में गडबड़ी पायी गयी. विभाग ने सिर्फ 62 लाख, 12 हजार, 572 रुपये रिकवर किया. यह कुल योजना गबन का 3.28 प्रतिशत ही है.
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2019 -2020 में मात्र 1.42 प्रतिशत गबन राशि हुई वसूल
वर्ष 2019-2020 में 1084 पंचायतों में सोशल ऑडिट किया गया. यह कुल योजना का 24.62 प्रतिशत था. 1084 पंचायतों की 25821 योजनाओं में अनियमितता समाने आयी. इनमें 13 करोड़, 83 लाख, 90 हजार से अधिक का गबन किया गया. रिपोर्ट के अनुसार मात्र 19 लाख, 69 हजार, 182 रुपये की ही वसूली की जा सकी है. यह कुल राशि का 1.42 प्रतिशत है.
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