Ranchi: कोरोना संक्रमण काल में जब सबकुछ थम गया था. उस दौरान राज्यभर की 42 हजार सहिया बहनें राज्य सरकार के सहयोग से अपने दायित्व के निर्वहन में जुटी थीं. इन सहियाओं में एक नाम है रीना देवी. बोकारो स्थित तेलो गांव निवासी सहिया रीना देवी ने अपने कार्य के दौरान मानवता और अपने दायित्वों के प्रति मिसाल पेश की है.
रीना देवी को जब पता चला की एक प्रवासी परिवार कोरोना संक्रमित है. संक्रमण के डर से पूरे गांव में भय व्याप्त था. ऐसे में रीना ने सराहनीय कदम उठाते हुए मेडिकल टीम की सहायता की. संक्रमित दम्पति को बोकारो जनरल अस्पताल में भर्ती कराया. आज दम्पत्ति स्वस्थ हैं, और रीना द्वारा किये गये कार्य पर पूरा गांव गौरवान्वित महसूस कर रहा है. रीना देवी कईयों के लिये आज भी प्रेरणास्रोत हैं.
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हजारों साहियाओं ने निभाया फर्ज
सिर्फ रीना ही नहीं राज्यभर की हजारों सहिया दीदी संक्रमण काल में अपने कर्तव्य पर डटी रहीं. राज्य सरकार के दिशा-निर्देश पर संक्रमण के मुश्किल दौर में लोगों को सामाजिक दूरी का पालन कराने, मास्क लगाने, साफ-सफाई का ध्यान दिलाने जैसी अहम जानकारियां देने का कार्य किया. सामाजिक दूरी के बंधन से बाहर निकलकर हर वर्ग के स्वास्थ्य सुविधाओं का ख्याल रखा. गांव-टोला, मोहल्लों से लेकर अस्पतालों तक सहियाओं ने लोगों के सेवार्थ बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
रोना संक्रमित मरीजों की आबादी वाले क्षेत्रों में जाकर सर्वेक्षण कार्य करने से लेकर कोविड मरीजों की पहचान करने व सामुदायिक कोविड जांच में भी इनकी सक्रिय भूमिका रही. इसके अतिरिक्त लगातार इनके द्वारा हाउस-टू-हाउस सर्वे कार्य किए गए. सर्दी-खांसी, इन्फ्लूएंजा व अन्य गंभीर श्वास सम्बंधित रोग वाले मरीजों की पहचान करने का भी इन्होंने सर्वेक्षण किया. गंभीर बीमारियों से ग्रसित बुर्जुगों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं की पहचान करने, इनके टीकाकरण तथा कोविडकाल में नवजात शिशुओं के जन्म और उनकी देखरेख करने में भी अस्पताल से लेकर घर-घर जाकर लोगों की सेवा की.
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कौन हैं सहिया दीदियां
झारखंड में आशा दीदी जिन्हें “सहिया“ के रूप में जाना जाता है. मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण के दौर में कोरोना से संबंधित गतिविधियों में कोरोना योद्धा की भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वहन किया. ये खास तौर पर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्वास्थ्य सम्बंधित देखभाल व कार्य करती हैं.
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