Ranchi: एक बार फिर से कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह दो दिनी झारखंड दौरे पर हैं. सिंह शनिवार को हजारीबाग में हो रहे किसान आंदोलन और ट्रैक्टर रैली में भाग लेने के लिए झारखंड आये हैं. इससे पहले आरपीएन सिंह 15 जनवरी को कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन के लिए राजभवन घेराव में शामिल होने रांची आये थे. 17 जनवरी को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि 31 जनवरी तक 20 सूत्री समिति का गठन हो जायेगा. लेकिन नहीं हो पाया.
बोर्ड निगम की तरह 20सूत्री समिति के गठन की गुत्थी भी कांग्रेस और जेएमएम नहीं सुलझा पा रहे हैं. मौजूदा दौरे में भी आरपीएन सिंह इसे हल कर पायेंगे, इसकी उम्मीद कम है. क्योंकि 21 फरवरी को वह दिल्ली लौट रहे हैं. अब जो तसवीर सामने आ रही है उससे लगता है कि बजट सत्र के बाद ही इन मुद्दों पर कुछ हो पायेगा.
इसे भी पढ़ें – पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर राहुल गांधी का नया ट्वीट, निशाने पर रहे पीएम मोदी, फोटो पोस्ट किया, लिखा, महंगाई का विकास
20 सूत्री के लिए दो-ढाई हजार कार्यकर्ता बांधे हैं टकटकी
जाहिर सी बात है कि गठबंधन सरकार में सभी साथी दलों के विधायकों या कार्यकर्ताओं को खुश नहीं किया जा सकता. फिर भी अगर कांग्रेस और जेएमएम मिलकर यह गुत्थी सुलझा लेते हैं, तो दोनों पार्टी के दो-ढाई हजार बड़े-छोटे कार्यकर्ताओं की दिली इच्छा पूरी हो जायेगी. प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक उन्हें एक पद मिल जायेगा. लेकिन दोनों दलों में रजामंदी नहीं बन पाने से दोनों दलों के कार्यकर्ता पार्टी आलाकमान की तरफ टकटकी लगाये हुए हैं. प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री 20 सूत्री के अध्यक्ष होते हैं. वहीं, वर्तमान में स्टीफन मरांडी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. बीस सूत्री कमेटी का जिलावार बंटवारा होगा. गठबंधन दलों के बीच जनाधार के आधार पर जिले का बंटवारा किया जायेगा. जिला के प्रभारी मंत्री 20 सूत्री के अध्यक्ष होंगे. उपाध्यक्ष अलग-अलग दलों से होंगे.
यह भी देखें – सत्ताधारी विधायकों को अब निगम और बोर्ड का ही सहारा
हाल में ही हेमंत सोरेन ने अपने कैबिनेट का विस्तार किया है. विधायक नहीं रहने के बावजूद दिवंगत पूर्व मंत्री हाजी हुसैन के बेटे हफीजुल हसन मंत्री बनाये गये. अब सिर्फ एक ही मंत्री पद खाली है. मौजूदा राजनीतिक समीकरण में साफ है कि फिलहाल यह खाली ही रहेगा. ऐसे में मंत्री बनने की आस लगाये विधायकों के पास बोर्ड और निगम अध्यक्ष पद की कुर्सी ही अब एकमात्र सहारा है. लेकिन सरकार गठन के 14 महीना बीत जाने के बाद भी गठबंधन पार्टियां आपस में सामंजस्य नहीं बैठा पा रही हैं. ऐसे में विधायकों के सब्र का प्याला छलकने के कगार पर है.
इसे भी पढ़ें – लॉकर की जिम्मेदारी से नहीं बच सकते बैंक : सुप्रीम कोर्ट
राज्य सरकार के बोर्ड-निगम
- राज्य बीस सूत्री कार्यान्वयन समिति
- झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार
- झारखंड राज्य खनिज विकास निगम
- झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
- झारखंड राज्य वन विकास निगम लिमिटेड
- झारखंड पर्यटन विकास निगम
- खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार, धनबाद
- झारखंड राज्य आवास बोर्ड
- झारखंड राज्य कृषि विपणन परिषद
- झारखंड राज्य बाल श्रमिक आयोग
- खान पर्षद, हजारीबाग
- रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार
- जेरेडा
- तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड
- राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड
- झारखंड श्वेताबंर जैन न्यास बोर्ड
- झारखंड राज्य विधि आयोग
- झारखंड राज्य मानवाधिकार आयोग
- झारखंड राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग
- झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग
- गो सेवा आयोग
- झारखंड राज्य पहाड़ी क्षेत्र उद्वह सिंचाई निगम लिमिटेड
- राज्य प्रावैद्यिक शिक्षा परिषद
- झारखंड राज्य ग्रामीण पथ विकास प्राधिकरण
- झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड
- सैरात रेमिशन कमेटी
- समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड
- राज्य महिला आयोग
- झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड
- झारखंड माटी कला बोर्ड
- झारखंड पिछड़ा वर्ग आयोग
- झारखंड अनुसूचित जनजाति आयोग
- झारखंड सूचना आयोग
इसे भी पढ़ें –दामोदर नदी के पुल से कूदकर टेक्नीशियन ने की आत्महत्या, चार घंटे के बाद शव बरामद