Dhanbad: धनबाद (Dhanbad) नगर निगम की हालत आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया वाली है. पिछले 16 साल में निगम अपनी आय बढ़ाने में नाकाम साबित रहा है. कुछ माह पहले ही निगम के सर्वे में खुलासा हुआ था कि शहरी क्षेत्र के 38 हजार हॉउस होल्डरों ने अभी तक होल्डिंग नंबर ही नहीं लिया है. टैक्स का पैसा नहीं आने से प्रति वर्ष निगम को 20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.
निगम ऐसे लोगों से जुर्माने के साथ होल्डिंग का पैसा वसूल करेगा. हालांकि जिस एजेंसी को निगम ने यह काम सौंपा था, वह इस सर्वे को ही गलत बता रही है. एजेंसी का कहना है कि जियो टैगिंग के जरिये नए हॉउस होल्ड की पहचान की जा रही है. पिछले साल 8 हजार नए होल्डिंग नम्बर जनरेट किये गए हैं. निगम के साथ उनका तीन साल का एग्रीमेंट है. इसे धीरे धीरे आगे बढ़ाएंगे.
विगत वर्ष 43 हजार लोगों ने दिया होल्डिंग टैक्स
निगम के वर्ष 2011 के आंकड़ो के अनुसार शहरी क्षेत्र में 1 लाख 25 हजार आवास हैं. निगम हर वर्ष 69 हजार लोगों से टैक्स लेने का दावा करता है, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में निगम होल्डिंग से सिर्फ 43 हजार लोगों से होल्डिंग का पैसा ले पाया. झरिया, कतरास तो हल्डिंग के मामले में जीरो है. धनबाद में भी सभी लोग निगम को होल्डिंग टैक्स नहीं देते हैं.
टैक्स एजेंसी की सच्चाई
निगम में टैक्स काम देख रही कंपनी श्री पब्लिकेशन के इंचार्ज मनोज रवानी ने 38 हजार वाले आंकड़े को ही गलत बता दिया. उनका कहना था कि निगम के होल्डिंग में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं. धीरे धीरे उसमें सुधार किया जा रहा. जहां तक बात है, उसमें 15 हजार आवासीय परिसर तो बीसीसीएल का है. वह पैसा दे नहीं रहा है. इसके अलावा शहर के कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपना प्लॉट बेच दिया है, लेकिन होल्डिंग नम्बर उन्हीं के नाम से है. टैक्स कलेक्शन के लिये जब एजेंसी के लोग वहांजाते है तो पता चलता है कि वहां तो अपार्टमेंट बन गया है. ऐसे अन्य कई मामले है. निगम ने एल एंड टी कंपनी के वाटर कनेक्शन के आधार पर यह बात कही थी जो की सही नही है. पिछले 10-11 साल में जिस धनबाद का तेजी से शहरीकरण हुआ. अभी एक लाख से अधिक नए मकान बन चुके हैं. इस हिसाब से भी सर्वे गड़बड़ है. अब जियो टैगिंग के द्वारा वास्तविक हॉउस होल्डर का पता लगाया जा रहा है. निगम की पुरानी गड़बड़ियों को भी सुधारा जा रहा है.
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