Ranchi: झारखंड में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की खबर तो हमेशा सामने आती रही है. अब विभाग अंतर्गत झारखंड रूरल हेल्थ मिशन सोसाइटी (JRHMS) का एक नया कारनामा सामने आया है. मामला प्राइवेट लैब द्वारा कोविड-19 RT-PCR जांच रिपोर्ट देने के लिए निकाले जाने वाले टेंडर से जुड़ा है. दरअसल जेआरएचएमएस ने उपरोक्त काम के लिए एक टेंडर जारी किया था.
बाद में टेंडर को तकनीकि गलती के कारण रद्द कर दिया. उसके बाद में आनन-फानन में सरकारी अवकाश यानी 30 अप्रैल को JRHMS ऑफिस को खोलकर एक नया टेंडर जारी किया गया. ताकि केवल एक प्राइवेट लैब को काम मिल सके. टेंडर जारी करने के लिए टेंडर समिति की सहमति भी नहीं ली गयी. इसके अलावा नये टेंडर के शर्तों में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की गयी. विभागीय सूत्रों को मुताबिक JRHMS एमडी के चहेते राजधानी स्थित प्राइवेट लैब एंटलिया लैब को काम देने के लिए ऐसा किया गया है.
पहले के टेंडर को रद्द करने में नहीं ली गयी आंतरिक वित्तीय सलाहकार की सहमति
प्राइवेट लैब को सेवाएं देने के लिए निकाले गये पहले के टेंडर में एक शर्त यह थी कि चयनित प्राइवेट लैब को 24 घंटे के अन्दर कोविड जांच रिपोर्ट देनी होगी. लेकिन जो टेंडर प्रकाशित किया गया, उसमें 24 घंटे के स्थान पर 48 घंटे प्रकाशित हो गया. बीते 28 अप्रैल को जब इस टेंडर के लिए JRHMS अभियान निदेशक की अध्यक्षता में एक बैठक में चयनित कंपनियों द्वारा बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू होनी थी, तब उपरोक्त तकनीकि गलतियों को देखते हुए टेंडर रद्द कर दिया गया. बैठक में फैसला हुआ कि नया टेंडर जल्द जारी किया जाए. हालांकि इस प्रक्रिया में भी स्वास्थ्य विभाग के आंतरिक वित्तीय सलाहकार से सहमति नहीं ली गयी. पूरी प्रक्रिया में कुल 9 प्राइवेट लैब का चयन किया गया था.
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बदले गये दो शर्तों में है काफी विरोधाभास, ताकि चहेते प्राइवेट लैब को मिले काम
इसके बाद सरकारी अवकाश के दिन एक नया टेंडर जारी हुआ. लेकिन इस बार इसके शर्तों में ही परिवर्तन कर दिया. बदलाव किये गये दो शर्तों में विरोधाभास है. पहला शर्त – द इंडियन कॉउसिंल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा मान्यता प्राप्त कोविड-19 RT-PCR जांच करने वाला कोई प्राइवेट लैब इस टेंडर में भाग ले सकता है. दूसरा शर्त है कि वैसे लैब इस टेंडर प्रक्रिया में भाग लेंगे, जो झारखंड में स्थित हो. इसके अलावा एक प्रावधान यह भी किया गया कि एल वन यानी LOWEST फाइनेंशियल बिडर वाले प्राइवेट लैब को टेंडर में प्राथमिकता दी जाएगी. यानी पूरी प्रक्रिया में चहेते प्राइवेट लैब को काम देने के लिए ऐसा किया गया.
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