Ranchi: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बने झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा से बीजेपी को राज्यसभा चुनाव में बड़े उलटफेर की उम्मीद थी, लेकिन यह उम्मीद अब कम हो गई है. मोर्चा के सद्स्य और विधायक सरयू राय ने कहा है कि मोर्चा सिर्फ विधानसभा के अंदर की गतिविधि के लिए बनी थी. अबतक विधानसभा के बाहर के मुद्दों को लेकर मोर्चा में किसी तरह की चर्चा या आम सहमति नहीं बनी है. उम्मीद है कि मोर्चा के सभी पांचों सदस्य राज्यसभा चुनाव में अपने-अपने विवेक से वोटिंग करेंगे. सरयू ने यह भी कहा कि अगर मोर्चा के सद्स्य इस मुद्दे पर बात करना चाहें तो एक राय बन भी सकती है, लेकिन विधानसभा के बाहर के मामलों के लिए मोर्चा को एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाना होगा.
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मोर्चा से बीजेपी को बहुत उम्मीदें
गौरतलब है कि झारखंड से राज्यसभा की दो सीटें जुलाई में खाली होने वाली हैं. बीजेपी के राज्यसभा सद्स्य मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार का कार्यकाल 8 जुलाई को खत्म हो रहा है. दोनों सीटों के लिए आंकड़े भाजपा के पक्ष में नहीं हैं. सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी है. एक सीट के लिए जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन की सरकार के पास पर्याप्त संख्या है. पहले वरीयता का 28 वोट प्रत्याशी को हासिल करना है. सत्ता पक्ष आसानी से इस आंकड़े को पार कर लेगा, वहीं भाजपा के पास वर्तमान में 26 विधायक हैं, यानी उसे दो वोट की जरूरत होगी. इसलिए 11 मार्च को जब मोर्चा बना तो बीजेपी खेमे में चुनाव में जीत की उम्मीद जगी थी.
रघुवर हुए उम्मीदवार तो फंसेगा मामला
झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा के विधायक बीजेपी या गठबंधन के पक्ष में वोट करेंगे यह अब प्रत्याशी के नाम पर भी बहुत हद तक निर्भर करेगा. बीजेपी कोई भी प्रत्याशी देगी तो संभव है कि कमलेश सिंह को छोड़कर अन्य 4 विधायकों का वोट बीजेपी के पक्ष में जा सकता है, लेकिन रघुवर दास अगर बीजेपी के राज्यसभा उम्मीदवार हुए तो मामला गड़बड़ा सकता है. क्योंकि मोर्चा भले ही एंटी बीजेपी न हो, लेकिन उसका मूड एंटी रघुवर जरूर है. मोर्चा के वरिष्ठ सद्स्य सरयू राय रघुवर के सबसे बड़े विरोधी हैं, लेकिन बीजेपी से उनका लगाव अब भी है.
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वहीं आजसू चीफ सुदेश महतो को भी बीजेपी से बहुत ज्यादा गिले-शिकवे नहीं हैं. उन्हें भी बस रघुवर से ही तकलीफ है, क्योंकि 2019 के चुनाव में बीजेपी और आजसू के अलग-अलग चुनाव लड़ने के पीछे भी रघुवर दास ही एक बड़ा कारण थे. उधर अमित यादव का जब बीजेपी ने बरकट्ठा से टिकट काटा तब प्रदेश बीजेपी में रघुवर का ही प्रभाव था. बचे आजसू विधायक लंबोदर महतो, तो वे उसी दिशा में जाएंगे जिधर सुदेश महतो.