NewDelhi : भारत में लगभग एक तिहाई महिलाओं के साथ शारीरिक या यौन हिंसा हुई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट-5 (NFHS) यही कह रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया द्वारा गुरुवार को यह जानकारी दी है. रिपोर्ट की मानें तो 18 से 49 वर्ष की आयु की 30फीसदी महिलाओं ने 15 वर्ष की आयु से शारीरिक हिंसा का अनुभव किया है. जबकि 6 फीसदी महिलाओं ने अपने जीवनकाल में यौन हिंसा का अनुभव किया है. लेकिन आश्चर्य है कि केवल 14 फीसदी महिलाओं ने शारीरिक या यौन हिंसा के मुद्दे को उठाया है.
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सबसे अधिक 48 फीसदी घरेलू हिंसा कर्नाटक में हुई
रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा सबसे अधिक 48 फीसदी कर्नाटक में हुई है. इसके बाद क्रमश: बिहार, तेलंगाना, मणिपुर और तमिलनाडु है. जान लें कि महिलाओं के खिलाफ लक्षद्वीप में सबसे कम घरेलू हिंसा (2.1%) हुई है. रिपोर्ट कहती है कि देश में केवल 4 फीसदी पुरुष घरेलू हिंसा के मामलों का सामना करते हैं. सर्वेक्षण में पाया गया है कि 32% विवाहित महिलाओं (18-49 वर्ष) ने शारीरिक, यौन या भावनात्मक वैवाहिक हिंसा का अनुभव किया है. वैवाहिक हिंसा का सबसे आम प्रकार शारीरिक हिंसा (28%) है. इसके बाद महिलाओं के साथ भावनात्मक हिंसा और यौन हिंसा होने की बात सामने आयी है.
स्कूली शिक्षा पूरी न करने वाली 40% महिलाएं हिंसा की शिकार
ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो यहां शारीरिक हिंसा का अनुभव महिलाओं (32%) ने शहरी क्षेत्रों (24%) की महिलाओं की तुलना में अधिक किया है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्कूली शिक्षा पूरी न करने वाली 40% महिलाएं और स्कूली शिक्षा पूरी करने वाली 18% महिलाएं शारीरिक हिंसा का शिकार होती हैं. 39% कम आय वाली महिलाओं ने शारीरिक हिंसा का सामना किया है. इस क्रम में 17% ज्यादा आय वाली महिलाओं ने शारिरिक हिंसा का सामना किया है. चौंकाने वाली बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा के 80% से अधिक मामलों में अपराधी पति होता है.
जिन पतियों ने स्कूली शिक्षा के 12 या अधिक वर्ष पूरे कर लिये हैं, उनमें शारीरिक, यौन, या भावनात्मक वैवाहिक हिंसा करने की संभावना आधी (21%) होती है. जबकि स्कूली शिक्षा न पूरी करने वाले 43% लोग हिंसा में संलिप्त होते हैं. जिन महिलाओं के पति अक्सर शराब पीते हैं उनमें से 70% महिलाओं ने शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया है, जबकि 23% महिलाएं जिनके पति शराब नहीं पीते हैं, वे हिंसा का सामना करती हैं.