Ranchi: रांची के विख्यात मेदांता अस्पातल में शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस हुआ. इसका आयोजन अस्पताल के चिकित्सक डॉ संगीत सौरभ ने किया. डॉ संगीत सौरभ ने कहा कि क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज के पैनक्रियाज की ग्रंथियां सूख जाती हैं. इसका सबसे प्रमुख लक्षण मधुमेह, बार-बार पेट दर्द होना और पतला दस्त होना है. कहा कि कभी-कभी पैंक्रियाटाइटिस के मरीजों में एक्यूट पैंक्रियाइटिस का अटैक होने से पैनक्रियाज की नली में सूजन और घाव हो जाता है. यह आगे चलकर फेस्टुला का रूप धारण कर लेता है.
डॉ संगीत सौरभ ने कहा कि लोगों में पैंक्रियाटाइटिस को लेकर जागरुकता की कमी है. इस बीमारी में मरीज का समय पर इलाज नहीं हो तो उसकी जान भी जा सकती है. उन्होंने कहा कि मेरे पास पिछले दिनों एक 30 वर्षीय मरीज आया था. अत्यधिक शराब पीने के कारण उसे क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस की बीमारी हो गयी थी. इससे मरीज को कई जटिल समस्याएं हो गयी थीं. मरीज के पैनक्रियाज में सूजन हो गया था. पैनक्रियाज की मुख्य नली से ज्यादा फ्लूड के रिसाव के कारण छाती और पेट में फ्लूड का जमाव हो गया था. उन्होंने बताया कि फेस्टुला की वजह से पैनक्रियाज से निकलने वाला पाचक रस, जिसे मुख्य रूप से आंत में जाना चाहिए था, लेकिन वहां न जाकर इसका रिसाव छाती और पेट में हो रहा था. जाहिर है मामला काफी गंभीर था. लेकिन मेदांता अस्पताल में इस मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया गया.
मरीज का इलाज करने वाले डॉ संगीत सौरभ का कहना है कि इस तरह की बीमारियों में मरीज काफी कमजोर हो जाता है. ऐसे में इनका इलाज करना काफी जटिल होता है. ऐसे मरीजों की सर्जरी करने पर संतोषजनक लाभ नहीं मिलता है. कहा कि जब यह मरीज जब अस्पताल में भर्ती हुआ था तो इसका पेट काफी फुला हुआ था. छाती में फ्लूड जमा होने के कारण इसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी. शुरुआत में छाती और पेट में ट्यूब डाल कर फ्लूड निकाला गया. लेकिन पैनक्रियाज से लगातार निकल रहे पाचक रस के कारण समस्या बढ़ती जा रही थी. जिसे रोकना बहुत जरूरी था. इसलिए एडवांस इंडोस्कोपिक तकनीक ईआरसीपी के माध्यम से पैनक्रियाज की मुख्य नली, जहां से रिसाव हो रहा था, वहां पर एक स्टेंट लगाया गया. जिसके कारण रिसाव में कमी आई और मरीज के लक्षणों में सुधार होने लगा.
डॉ संगीत सौरभ ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में सात से दस दिन का समय लगा. मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है. उन्होंने कहा कि मेदांता अस्पताल रांची में विभिन्न जटिल बीमारियों का बेहतर इलाज उपलब्ध है. बड़े शहरों में मिलने वाला इलाज अब मेदांता में ही मिल रहा है. वहीं मेदांता अस्पताल रांची के डायरेक्टर विश्वजीत कुमार ने कहा कि हमारे यहां विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं. अस्पताल में अनुभवी चिकित्सकों की टीम मरीजों का इलाज अत्याधुनिक मशीन से करती है. यह अस्पताल दिल्ली, मुंबई और वेल्लोर जैसे शहरों के बड़े अस्पतालों में मिलने वाला इलाज रांची में ही मुहैया करवा रहा है. उन्होंने इस जटिल इलाज को सफलतापूर्वक करने वाले डॉक्टरों की टीम को बधाई दी.
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मेदांता अस्पताल के पास कुशल नर्सिंग स्टाफ की टीम है
बता दें कि मेदांता ने झारखंड में विश्वस्तरीय सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल शुरू करने के लिए रांची में अब्दुर रज्जाक अंसारी मेमोरियल वीवर्स हॉस्पिटल के साथ साझेदारी की है. अस्पताल रांची और झारखंड के आसपास के क्षेत्रों में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करता है. अस्पताल के पास कुशल नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम है. उच्च शिक्षित और अनुभवी डॉक्टरों की टीम है. उनके द्वारा यहां इलाज किया जाता है. मेदांता अस्पताल न केवल रांची शहर में, बल्कि झारखंड और इसके आसपास के क्षेत्रों के मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बन कर उभरा है. यही वजह है कि काफी संख्या में आज भी मरीज यहां पहुंचते हैं और स्वस्थ होकर लौटते हैं.
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