- विधायक के शिलान्यास करने से पहले ठेकेदार नहीं शुरू कर पा रहे काम
- रघुवर सरकार में बनाये गये नियम का हवाला देकर ठेकेदारों को टाल रहे हैं अधिकारी
Ranchi: विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर रघुवर सरकार के तर्ज पर चल रही टेंडर प्रक्रिया को बदलने की मांग की है. उन्होंने कहा कि टेंडर के निष्पादन में पिछली सरकार द्वारा स्थापित अनियमितता और भ्रष्ट आचरण वाली प्रक्रिया को इस सरकार ने भी अपना लिया है, जो बेहद दुख की बात है. उन्होंने लिखा कि पिछली सरकार में निविदाओं का नियमित प्रबंधन करने की कार्य पद्यति पिछली सरकार में विकसित की गई थी, लेकिन वर्तमान में इस पद्धति का विस्तार पूरे राज्य में हो गया है. रांची की लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
इस बारे में उन्हें कई संवेदकों से सूचना मिली है. उन्होंने कहा कि पूर्व में इस प्रक्रिया का शिकार झारखंड विधानसभा भवन और झारखंड उच्च न्यायालय भवन हो चुके हैं, जिनकी न्यायिक जांच कराने का आदेश सरकार ने दिया है. वर्तमान में इस अनुभव की आजमाइश प्रखंड एवं विधानसभा स्तर की निविदाओं में धड़ल्ले से हो रही है.
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टेंडर लेने के एक महीने बाद भी ठेकेदार शुरू नहीं कर पा रहे काम
सरयू ने कहा कि जमशेदपुर के एक युवा ठेकेदार ने उन्हें बताया कि उन्होंने जल संसाधन विभाग की दो मध्यम श्रेणी की परियोजनाओं का टेंडर भरकर हासिल किया था, लेकिन एक महीना बीतने के बाद भी विभाग उन्हें काम शुरू करने नहीं दे रहा है. झारखंड सरकार के आदेश का हवाला देकर यह कहा जा रहा है कि जब क्षेत्र के स्थानीय विधायक कार्य का शिलान्यास करेंगे तभी काम शुरू होगा. उन्होंने कहा कि सरकार के परिपत्र की आड़ में एक अस्वस्थ एवं अनाधिकृत परम्परा को प्रोत्साहन मिल रहा है, जो अनियमित है और भ्रष्ट आचरण को प्रोत्साहित करने वाला है.
एक चर्चित अधिकारी ने पिछली सरकार में शुरू किया था यह तरीका
सरयू ने कहा कि जब वे रघुवर सरकार में मंत्री थे तब पथ निर्माण सचिव एवं मुख्य सचिव रहते उस समय की एक चर्चित अधिकारी ने मुख्यालय स्तर पर निविदाओं का निष्पादन करने और मनपसंद संवेदकों को संविदा दिलवाना सुनिश्चित करने के लिए यह तरीका अपनाया था.
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उन्होंने कहा कि संभवत: यह उन अधिकारियों की बदौलत ऐसा हुआ होगा जो पिछली सरकार में भी ऐसे प्रमुख विभागों में पदस्थापित थे और वर्तमान सरकार में भी हैं. सरयू ने कहा कि वर्तमान सरकार को इस अस्वस्थ और भ्रष्ट प्रक्रिया को जनहित में खत्म कर देना चाहिए और ऐसी प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वालों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए.