Ranchi : राज्य सरकार ने जेपीएससी की 7वीं से 10वीं सिविल सेवा परीक्षा का शुल्क घटा दिया गया है. जेपीएससी ने अभ्यर्थियों के हित को ध्यान रखते हुए परीक्षा शुल्क घटा कर 100 रुपये कर दिया है. वहीं एसटी-एससी अभ्यर्थियों को 50 रुपये ही परीक्षा शुल्क के रूप में देने होंगे. वहीं दूसरी ओर झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग पंचायती राज ने अनुबंध पर नियुक्ति के लिए 19 फरवरी को अधिसूचना जारी की है.
इसमें कनीय अभियंता के 526 पद और लेख लिपिका—सह—कंप्यूटर ऑपरेटर के 869 पद हैं. विभाग की अधिसूचना के अनुसार इन दोनों पदो के लिए आवेदन शुल्क 500 रुपये (सामान्य वर्ग के लिए) एवं एसटी-एसी एवं महिला के लिए 300 रुपये रखा गया है. आवेदक इसे चुनाव के समय किये गये वादे की वादाखिलाफी बता रहे हैं.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हस्तक्षेप के बाद 600 से 100रु हुआ शुल्क
जेपीएससी ने विज्ञापन जारी करने के समय अनारक्षित आर्थिक रूप से कमजोर पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 600 रुपये परीक्षा शुल्क निर्धारित किया था. अनुसूचित जनजाति, आदिम जनजाति व अनुसूचित जाति के लिए 150 रुपये का शुल्क तय किया गया था. इसका विरोध भी हुआ था. बाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हस्तक्षेप के बाद जेपीएससी ने परीक्षा शुल्क घटाकर 100 रुपया किया. अब अनुबंध पर ग्रामीण विकास विभाग में हो रही नियुक्ति के लिए ली जा रही फीस पर अभ्यर्थियों ने नाराजगी जाहिर की है.
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क्या कहते हैं आवेदक
कांट्रैक्ट की नौकरी के लिए 500 लेना उचित नहीं
गिरिडीह के चंदन कुमार कहते हैं कि सरकार ने जेपीएससी की नौकरी के लिए आवेदन शुल्क 100 रुपया किया है. जबकि संविदा पर नियुक्ति के लिए से 500 रुपये लिये जा रहे हैं. यह बेरोजगार छात्रों से किये गये वादे का खिलाफ है लातेहार के अरविंद कहते हैं कि चुनाव के दौरान बड़े-बडे वायदे छात्रों के साथ किये गये. बेरोजगारी भत्ता देने की बात भी की गयी. सरकार बनते ही छात्रों और बेरोजगारों को खून चूसने का काम शुरू हो गया है. 17 एवं 10 हजार की नौकरी के लिए 500 रुपये कफीस लेना कहीं से उचित नहीं है.
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वादाखिलाफी कर रही है छात्रों के साथ
देवघर के कल्याण सुमन कहते हैं कि 14वें वित्त आयोग के तहत नियुक्त हम कर्मियों को 15वें वित्त आयोग में संविदा विस्तार नहीं दिया जा रहा है. दूसरे राज्यों में संविदा विस्तार किया जा चुका है. ऊपर से 15वें वित्त आयोग के लिए नयी बहाली में 500 रुपया फीस लिया जा रहा है. हेमंत जी चुनाव से पहले बोला करते थे कि सभी संविदा कर्मी को हक दिलायेंगे. लेकिन सीएम बनते ही तानाशाही रवैया अपना रहे हैं.
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