Adityapur : अग्निपथ स्कीम देश के युवाओं के साथ रोजगार देने के नाम पर भद्दा मजाक है. उक्त बातें युवा संगठन एआईडीवाईओ (ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक यूथ ऑर्गेनाइजेशन) ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है. ऑर्गेनाइजेशन के अखिल भारतीय अध्यक्ष निरंजन नस्कर और महासचिव अमरजीत कुमार ने कहा कि 14 जून को रक्षा मंत्री द्वारा रोजगार के क्षेत्र में एक नई स्कीम अग्निपथ का ऐलान किया गया. इसके तहत अब सेना में जवानों की भर्ती सिर्फ चार साल के लिए होगी और उसके बाद उन्हें बाहर कर दिया जाएगा.
10 लाख नौकरी का ऐलान भी बनकर रह जाएगा जुमला
उन्होंने कहा कि योजना के तहत ऐसे भर्ती किये गए जवानों को पेंशन व किसी अन्य तरीके की सुविधाएं नहीं दी जाएगी. एक तरफ अग्निपथ स्कीम जैसे युवा विरोधी नीति लाई जा रही है और दूसरी तरफ प्रधान सेवक द्वारा अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरी देने का ऐलान किया जा रहा है. अजीब इत्तेफाक है कि सरकार को आठ वर्ष के बाद में शायद याद आया है कि सरकार के विभिन्न विभागों में 10 लाख पोस्ट खाली है. जबकि यही सरकार चार लाख नौकरियों को समाप्त कर चुकी है. साथ ही 10 लाख नौकरी का ऐलान भी हर साल दो करोड़ नौकरी के वादे की तरह ही जुमला बनकर रह जाएगा. कहीं यह चुनाव जीतने की तिगड़म तो नहीं.
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सरकार को रोजगार की समस्या दूर करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए
उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी की समस्या भयावह है, युवा हताश और निराश हैं. ऐसे में अग्निपथ जैसी स्कीम युवाओं के मनोबल को तोड़ने का काम करेगी. दो साल से कोरोना की आड़ में सरकारी विभागों में नौकरी नहीं दी जा रही थी. अब जब स्थिति सामान्य हुई तो युवाओं को उम्मीद थी कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी. लेकिन ऐसी स्थिति में इस तरह की स्कीम लाना युवाओं के लिए वज्रपात से कम नहीं है. सरकार को रोजगार की समस्या दूर करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए. लेकिन वे ऐसा न कर के ठीक इसके विपरीत एक-एक करके बचे-कुचे सरकारी संस्थानों से अस्थाई नौकरी को समाप्त कर रही है.
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आंदोलनरत युवा एकजुट होकर लड़े अपनी लड़ाई
उन्होंने कहा कि इस तरह की स्कीम से ठेकेदारी सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार की समस्या और भी विकराल रूप धारण करेगी. इसलिए हमारा संगठन सरकार से यह मांग करता है कि अग्निपथ स्कीम को वापस लिया जाए और सभी सरकारी संस्थानों में स्थायी नियुक्ति की जाए. हम साथ ही साथ आंदोलनरत युवा साथियों से अपील करते हैं कि वे किसी तरह की तोड़फोड़ या हिंसा के लिए नहीं बल्कि दीर्ध स्थायी, शांतिपूर्ण और जुझारू युवा आंदोलन निर्मित करने के लिए उसी तरह एकजुट हो जैसे किसानों ने अपनी मांगों के लिए एकजुट होकर लड़ाई लड़ी थी.
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