NewDelhi : मराठा आरक्षण को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की अनुमति दी जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर 15 मार्च से हर दिन सुनवाई की सिफारिश की है. अदालत अब इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 15 मार्च को करेगा.
Maratha reservation: Supreme Court issues notice to all the State governments and seeks their response on whether reservation could be allowed beyond 50 per cent
The court to recommence the day-to-day hearing in the matter on March 15.— ANI (@ANI) March 8, 2021
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है. इस पीठ में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रवींद्र भट भी शामिल हैं.
जान लें कि शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने से संबंधित महाराष्ट्र सरकार के 2018 के कानून को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सोमवार से सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की है.
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मराठा आरक्षण पर सुनवाई 15 मार्च तक के लिए टाल दी
इस क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण के मामले पर सभी राज्यों की राय जानना आवश्यक है. ऐसे में SC ने सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक बढ़ाई जा सकती है?
साथ ही मराठा आरक्षण पर सुनवाई 15 मार्च तक के लिए टाल दी. बता दें कि पिछले साल नौ दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र के 2018 के कानून से जुड़े मुद्दों पर त्वरित सुनवाई की जरूरत है क्योंकि कानून स्थगित है.
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बिना राज्यों को सुने फैसला नहीं दिया जा सकता
लोगों तक इसका फायदा नहीं पहुंच पा रहा है. जान लें कि नौकरियों और दाखिले में मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण प्रदान करने के लिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) कानून, 2018 को लागू किया गया था.
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में अनुच्छेद 342ए की व्याख्या भी शामिल है. ऐसे में यह सभी राज्यों को प्रभावित कर सकता है. इसीलिए एक याचिका दाखिल हुई है. इसमें कोर्ट को सभी राज्यों को सुनना चाहिए. मुकुल रोहतगी ने कहा कि बिना सभी राज्यों को सुने इस मामले में फैसला नहीं दिया जा सकता है.