Jamshedpur (Ashok kumar) : अपराध की दुनिया में परमजीत सिंह और अखिलेश सिंह ने साथ ही कदम रखा था. ब्लू स्कोप के ठेका को लेकर परमजीत से जब अखिलेश की अनबन हो गई तब आरोप है कि उसने परमजीत सिंह की हत्या 20 मार्च 2009 को घाघीडीह जेल में ही गोली मारकर करवा दी थी. इसके लिये हथियार को दही के हांडी में जेल के बाहर से मंगवाया गया था. उसके सिर और पेट में गोली मारी गई थी. परमजीत सिंह हत्याकांड के मुख्य सरगना और साजिशकर्ता अखिलेश सिंह और उसके बड़े भाई अमलेश सिंह को बताया गया था. बर्मामाइंस ईस्ट प्लांट बस्ती के रहने वाले हरपाल सिंह हीरे के बयान पर मामला दर्ज कराया गया था. इसके पहले परमजीत सिंह के कैदी वैन पर 17 सितंबर 2008 को फायरिंग करवाई गई थी. उसके पहले 28 अगस्त 2008 को परमजीत के भाई सत्येंद्र सिंह पर फायरिंग हुई थी.
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प्रतिशोध में परमजीत गैंग ने गौतम की पीट-पीटकर कर दी थी हत्या
जिस दिन परमजीत सिंह की गोली मारकर हत्या की गई थी, ठीक उसी दिन इसके प्रतिशोध में परमजीत सिंह गैंग के लोगों ने गौतम की पीट-पीटकर जेल में ही हत्या कर दी थी. परमजीत सिंह की हत्या में अखिलेश सिंह, गौतम, मनोरंजन सिंह लल्लू, मनोज सिंह, भोला सिंह के अलावा अन्य पर परसुडीह थाने मामला दर्ज कराया गया था.
जज के घर में घुसकर की थी फायरिंग
जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या में जज आरपी रवि ने अखिलेश सिंह को उम्रकैद की सुनाई थी. इसके बाद अखिलेश सिंह ने 19 मार्च 2008 को जज के घर में घुसकर गोली चलाई थी, लेकिन जज घटना के समय बाल-बाल बच गए थे. ओम प्रकाश काबरा के अपहरण में अखिलेश के खिलाफ गवाही देने पर काबरा की हत्या साकची कार्यालय में शूटर रंजीत चौधरी से दिन-दहाड़े करवाने का भी आरोप अखिलेश सिंह पर है. उस दिन कीनन स्टेडियम में भारत-इंग्लैंड के बीच क्रिकेट मैच चल रहा था.
चार साल तक खोजती रही पुलिस
आशीष डे की हत्या 2 नवंबर 2007 में करने के बाद से ही अखिलेश सिंह शहर से फरार हो गया था. चार सालों तक वह पुलिस के हाथ नहीं लगा. बावजूद उसके गुर्गें घटनाओं को अंजाम देते रहे. शहर के बड़े कारोबारियों से रंगदारी वसूली का काम बदस्तूर जारी रहा. पुलिस सिर्फ जांच का बहाना बनाकर चुप्पी साध लेती थी. इसके पहले 2 सितंबर 2007 को अखिलेश अपनी मां का इलाज के नाम पर पेरोल पर जेल से बाहर निकला था.
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नवीन सिंह थे जमशेदपुर के एसपी
घाघीडीह सेंट्रल जेल में हुई हत्या के समय जमशेदपुर के एसपी नवीन कुमार सिंह थे. तब अखिलेश सिंह एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम दे रहा था, लेकिन पुलिस की पहुंच से अखिलेश कोसों दूर था. तब अखिलेश के नाम की चर्चा सिर्फ शहर में ही नहीं बल्कि आस-पास के राज्यों में भी होती थी.
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