Jamshedpur (Ashok kumar) : अखिलेश सिंह और परमजीत सिंह के बीच वर्चस्व को लेकर गैंगवार के बीच ही शहर में पंकज दुबे का गिरोह पनपा. नवंबर 2009 से लेकर फरवरी 2010 के बीच सीरियल क्राइम की घटनाओं को अंजाम देकर परमजीत गैंग का पंकज दुबे जमशेदपुर में डॉन की तरह शहर में उभरा था. चार माह के अंतराल में पुलिस के लिये यह पहेली बनी हुई थी कि हत्या, लूट और फायरिंग की घटनाओं को कौन अंजाम दे रहा है. तब पंकज दुबे को शहर का कोई भी पुलिस वाला जानता नहीं था. एसपी नवीन सिंह के नाक में वह दम कर रखा था. जिले की पुलिस तंत्र पूरी तरह से फेल हो गया था. शहर में दहशत ऐसी फैली थी कि डीजीपी नियाज अहमद को भी शहर आना पड़ा था. जिला प्रशासन की ओर से बाइक के पीछे किसी के बैठने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. डीसी और एसपी को खुद शहर की सड़कों पर उतरकर मोर्चा संभालना पड़ा था. पूरे शहर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था. बावजूद सुराग हाथ नहीं लग रही थी. पंकज दुबे के कारण ही जिले में एसएसपी, ग्रामीण एसपी और सिटी एसपी का नया पोस्ट क्रियेट किया गया था. शहर के लोग 12 सालों के बाद ही सीरियल क्राइम के समय के हालात को नहीं भुले हैं.
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डॉ. प्रभात कुमार की गोली मारकर की थी हत्या
सीरियल क्राइम के दौरान ही पंकज दुबे वे उसके गैंग के लोगों ने टीएमएच के डॉ. प्रभात कुमार के घर में घुसकर गोली मारकर हत्या की थी. इसी तरह से टीएमएच के ही डॉ. अनुपम प्रसाद और पीके मिश्रा को गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था. बिष्टुपुर सीएच एरिया पेट्रोल पंप के पास बिल्डर रोहित सिंह के ऑफिस में फायरिंग की गयी थी. जनवरी 2010 को मानगो के व्यापारी इंदरपाल सिंह की गोली मारकर हत्या की थी.
शहर के दो पत्रकारों को फोन करना पड़ा था महंगा
पंकज दुबे ने सीरियल क्राइम के दौरान ही शहर के दो पत्रकारों को मोबाइल पर फोन किया था. यही फोन करना उसके लिये महंगा साबित हुआ. संतोष दुबे के नाम पर उसने फोन किया था और अपनी बातों को पुलिस और आम लोगों तक प्रिंट मीडिया के माध्यम से पहुंचाना चाहता था. खबर जब अखबारों में छपी तब पुलिस ने उस नंबर को ही ट्रैक पर लगा दिया था. उस नंबर का पीछा करते हुये पुलिस ने 25 जनवरी 2010 को उसे बिष्टुपुर के जी टाउन क्लब के पास से गिरफ्तार कर लिया था.
9 एमएम पिस्टल के साथ धराया था पंकज दुबे
पंकज दुबे की गिरफ्तारी 20 जनवरी 2010 को 9 एमएम पिस्टल के साथ हुई थी. इसके बाद ही पुलिस को पता चला कि वह जुगसलाई का रहने वाला है और परमजीत गैंग का आदमी है. इसके पहले तक वह पर्दे के पीछे था, लेकिन डॉन बनने की चाहत में उसने सीरियल क्राइम को अंजाम दिया. पंकज के साथ पुलिस ने कबीर उर्फ शेख हैसामुद्दीन को भी गिरफ्तार किया था. तब कबीर ने कहा था कि पंकज के कहने पर उसने डॉ. प्रभात के घर में घुसकर गोली मारकर हत्या की थी.
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