Satya Sharan Mishra
Ranchi: मधुपुर विधानसभा उपचुनाव ने आजसू के सामने संभावनाओं का द्वार खोल दिया है. इस अवसर को भुनाने में पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. मधुपुर में आजसू ने दावेदारी पेश कर बीजेपी को फिर से धर्मसंकट में डाल दिया है. मधुपुर में आजसू पार्टी की चुनावी तैयारी जोरों पर है. हालांकि अबतक इस बार आजसू का रुख नरम है. पार्टी सूत्रों की मानें तो आजसू मधुपुर उपचुनाव के बहाने प्रेशर पॉलिटिक्स कर केंद्रीय कैबिनेट और राज्यसभा जाने का रास्ता तलाश रही है.
पूरी संभावना है कि मधुपुर सीट छोड़ने के एवज में आजसू केंद्रीय कैबिनेट में गिरिडीह से सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी को जगह देने की दबाव बनायेगी. साथ ही एक राज्यसभा सीट के लिए अपनी दावेदारी पेश करेगी.
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आजसू के बिना चुनावी नैया पार लगाना मुश्किल
हालांकि ऑफिशियल तौर पर दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर अबतक कोई चर्चा नहीं हुई है. दोनों पार्टियां एक दूसरे का रुख भाप रही हैं. झारखंड में हुए पिछले उपचुनावों में लगातार मिली हार को देखते हुए बीजेपी इस बार न्यूट्रल है. बीजेपी यह समझ रही है कि मधुपुर में पिछले विधानसभा चुनाव में तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी आजसू के सपोर्ट के बिना यहां उसकी नैया पार नहीं लगने वाली.
उधर आजसू भी 2019 के विधानसभा चुनाव में हुई चूक को पार्टी दोहराना नहीं चाहती. आजसू नहीं चाहेगी कि फिर से बात बिगड़े और एनडीए गठबंधन में खटास पैदा हो. लेकिन यह भी तय है कि दावेदारी छोड़ने के एवज में बीजेपी के सामने बड़ी मांग जरूर रखेगी.
केंद्रीय नेताओं से रायशुमारी के बाद फैसला लेंगे दीपक प्रकाश
मधुपुर उपचुनाव पर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की नजर है. प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने 1 और 2 मार्च को मधुपुर का दौरा भी किया. वहां बीजेपी कार्यकर्ताओं से बातचीत कर फिडबैक लेकर लौटे हैं. वे दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं को मधुपुर चुनाव की तैयारी और कार्यकर्ताओं की राय से अवगत करायेंगे. केंद्रीय नेतृत्व से रायशुमारी के बाद ही इस सीट पर बीजेपी कोई फैसला लेगी.
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प्रत्याशी बदलना बीजेपी के लिए साबित हो सकता है बड़ा जोखिम
उपचुनाव के लिए जेएमएम और आजसू का प्रत्याशी लगभग तय है. भाजपा से राज पलिवार की भी यहां दावेदारी है. लेकिन अबतक उन्हें पार्टी नेतृत्व से कोई संदेश या संकेत नहीं मिला है. उम्मीद है कि इस बार बीजेपी यहां प्रत्याशी बदल सकती है. लेकिन प्रत्याशी बदलना बीजेपी के लिए बहुत बड़ा जोखिम साबित हो सकता है.
राज पलिवार मधुपुर सीट पर 2005 से बीजेपी का नेतृत्व कर रहे हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें 28.34 फीसदी वोट मिले थे. वहीं आजसू प्रत्याशी को 19.88 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 38 फीसदी वोट के साथ जेएमएम के हाजी हुसैन अंसारी विनर रहे थे. इससे पहले 2014 में राज पलिवार ने हाजी हुसैन अंसारी को वहां 6,884 वोट से हराया था.
इससे पहले 2005 में भी राज पलिवार ने 6,667 वोट से हाजी हुसैन अंसारी को हराया था. हालांकि 2009 में राज पलिवार हाजी हुसैन से हार गये थे.
सच्चा कार्यकर्ता हूं, सीट के लिए कभी नहीं रहा दावेदार- राज पलिवार
मधुपुर सीट पर दावेदारी के सवाल पर राज पलिवार का कहना है कि वो बीजेपी का कार्यकर्ता हैं. उन्होंने कभी मधुपुर सीट पर दावेदारी नहीं की. 2005, 2009, 2014 या फिर 2019 का विधानसभा चुनाव हो. उन्होंने कभी भी अपनी दावेदारी पेश नहीं की. इस उपचुनाव में भी उनकी कोई दावेदारी नहीं है. पार्टी का जो भी निर्देश होगा वो उसे मानेंगे.
उन्होंने कहा कि एनडीए गठबंधन में बीजेपी के साथ आजसू और जेडीयू है. तीनों पार्टियां मिलकर प्रत्याशी पर फैसला लेगी. एनडीए का प्रत्याशी कौन होगा, अभी यह भविष्य के गर्भ में छिपा है.
बीजेपी-आजसू साथ नहीं लड़ी तो जाएगा गलत मैसेज- देवशरण
आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत का कहना है कि पार्टी अभी पूरी तरह बंगाल चुनाव पर फोकस कर रही है. उन्होंने कहा कि मधुपुर सीट पर प्रत्याशी को लेकर आपस में मिल-बैठकर दोनों दल नतीजे पर पहुंचेंगे. 2019 में बीजेपी-आजसू का चुनावी तालमेल अंतिम समय में टूट गया था. इसलिए इस बार दोनों पार्टियां पूरी गंभीरता से उपचुनाव पर चर्चा कर फैसला लेगी.उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां साथ में उपचुनाव में जाएंगी, क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो जनता के बीच गलत मैसेज जाएगा.
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