Jamshedpur (Vishwajeet Bhatt): सरकार एक-एक करके धीरे-धीरे आम नागरिकों को मिलने वाली सुविधाएं और रियायतें छीन रही है. अब तो बात मुंह के निवाले तक आ गई है. यह हम नहीं कह रहे, रेलयात्रा में वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट के सवाल पर एक बुजुर्ग ने झल्ला कर यह कहा. तमाम रेलवे यूनियनों के पदाधिकारियों, वरिष्ठ नागरिकों और आम लोगों का कहना है कि रेलवे अपनी कार्यप्रणाली और लापरवाही के कारण हर साल इतने रुपये बर्बाद कर देती है कि इन रुपयों से वरिष्ठ नागरिकों, मरीजों आदि को यात्रा में पूरी की पूरी छूट दी जा सकती है.
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जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से हैरानी
हैरत की बात यह है कि मुफ्त में तमाम सुविधाएं भोग रहे सांसद, विधायक और मंत्री इस बेहद गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर चुप हैं. यदि सभी मिलकर एक स्वर में उचित मंच पर इसे उठाएं तो हो सकता है सरकार यह सुविधा एक बार फिर बहाल करने पर विचार करे. रेलवे के सूत्र बताते हैं कि 2016 में रेलवे ने रियायतों को ऑप्शनल बनाया. पिछले दो दशक में रेलवे द्वारा दी जाने वाली रियायतों पर काफी चर्चा हुई. इसमें कई समितियों ने रियायतें वापस लेने की सिफारिश भी की. इसका नतीजा यह हुआ कि जुलाई 2016 में रेलवे ने टिकट बुक करते समय बुजुर्गों को मिलने वाली रियायत को ऑप्शनल बना दिया.
रियायात दोबारा शुरू होने की उम्मीद भी नहीं के बराबर
जुलाई 2017 में रेलवे ने बुजुर्गों के लिये ‘रियायत छोड़ने’ के विकल्प की योजना भी शुरू की. कोरोना ने न सिर्फ लाखों लोगों की जान ले ली और बड़ी संख्या में लोगों को बेरोजगार कर दिया, बल्कि इसके कहर से सीनियर सिटीजन की रियायत भी नहीं बच सकी. मार्च 2020 से रेलवे ने रियायतें स्थगित की थी, तभी से यह सुविधा पूरी तरह से बंद है. अब इसके दोबारा शुरू होने की उम्मीद भी नहीं के बराबर है, क्योंकि सरकार ने इसको पूरी तरह से बंद कर दिया है.
क्या कहती है कैग की रिपोर्ट
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ नागरिक यात्रियों की ओर से ‘गिव इट अप’ (रियायत छोड़ने की) योजना पर मिला रिएक्शन बहुत उत्साहजनक नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया कि कुल 4.41 करोड़ सिनीयर सिटीजन यात्रियों में से 7.53 लाख (1.7 प्रतिशत) यात्रियों ने 50 प्रतिशत रियायत छोड़ने का विकल्प चुना और 10.9 लाख (2.47 प्रतिशत) यात्रियों ने 100 प्रतिशत रियायत छोड़ दी.
महिलाओं को 50 और पुरुष को 40 प्रतिशत मिलती थी छूट
वरिष्ठ नागरिकों के मामले में महिलाओं को 50 प्रतिशत, जबकि पुरुषों को 40 प्रतिशत छूट मिलती थी. इस कैटेगरी में महिलाओं की उम्र कम से कम 58 और पुरुषों के लिए 60 साल थी. एक बुजुर्ग कहते हैं कि हमें जो रियायत दी जाती थी वह बेहद महत्वपूर्ण थी और उन लोगों के लिए बहुत बड़ी मदद की तरह थी जो यात्रा का महंगा खर्च वहन नहीं कर सकते. कई घरों में बुजुर्गों को एक अतिरिक्त सदस्य के रूप में माना जाता है. उनकी अपनी कोई आय नहीं होती है. इन रियायतों से उन्हें कहीं आने-जाने में मदद मिलती थी. नियमित ट्रेन सेवाएं संचालित किए जाने के साथ वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतें बहाल की जानी चाहिए. अधिकतर बुजुर्ग पूरा किराया नहीं दे सकते.
चक्रधरपुर रेल मंडल से औसतन हर रोज यात्रा करते हैं एक लाख मुसाफिर
चक्रधपुर रेल मंडल के अधिकारी बताते हैं कि चक्रधरपुर रेल मंडल में औसतन हर रोज एक लाख मुसाफिर यात्रा करते हैं. इनमें बमुश्किल दो से तीन प्रतिशत वरिष्ठ नागरिकों की संख्या होती है. रेलवे यूनियनों के पदाधिकारियों, वरिष्ठ नागरिकों और आम लोगों का यह मजबूत तर्क है कि रेलवे को एक लाख में से दो से तीन हजार लोगों को रियायत दे देने से बहुत नुकसान नहीं होने वाला है.
रियायतें बंद करने का निर्णय रेलवे के लोककल्याणकारी स्वरूप के विरुद्ध
“रेलवे का जो लोककल्याणकारी स्वरूप था, रियायतें बंद करने का निर्णय रेलवे के इस स्वरूप के विरुद्ध है. हमारे बुजुर्ग यात्री रियायतों के वाजिब हकदार हैं. हमारा देश लोकतांत्रिक है. इसमें वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान और सहयोग समस्त भारतीयों के साथ-साथ सभी सरकारी संस्थाओं की जिम्मेदारी है. हमारा संगठन वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायतों को बंद करने के निर्णय के विरुद्ध है. हम मांग करते हैं कि रेलवे यह सुविधा बहाल करे.”
यह यात्री सुविधाओं का बेहद संवेदनशील मामला
“यह यात्री सुविधाओं का बेहद संवेदनशील मामला है. रेलवे बोर्ड ने जिस आधार पर इस सुविधा को बंद किया है, उसका कोई मायने-मतलब नहीं है. सांसद, विधायक व मंत्रियों सहित तमाम जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि रेलवे के इस संवेदनहीन निर्णय के खिलाफ आवाज उठाएं. उचित प्लेटफॉर्म पर इस गंभीर मुद्दे को उठाकर इस सुविधा को बहाल करने के लिये सरकार व रेलवे बोर्ड को बाध्य करें. यह बेहद आश्चर्यजनक है कि सरकार धीरे-धीरे एक एक कर सुविधाएं छीन रही है और हमारे तमाम जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए हैं.”
सांसदों-विधायकों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती की जानी चाहिए
“यह केवल वरिष्ठ नागरिकों का ही नहीं देश की जनता का मामला है. वरिष्ठ नागरिकों को रियायत हर हाल दी जानी चाहिए. इस कटौती जगह सांसदों-विधायकों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती की जानी चाहिए. बहुत सारे ऐसे मद हैं जिनमें रेलवे का पैसा पानी की तरह बहाकर बर्बाद किया जा रहा है. रेलवे बोर्ड को उसको बंद करके वरिष्ठ नागरिकों, असहायों और बीमारों को रियायत देनी चाहिए. वैसे ही बुजुर्ग घर के एक कोने में सिमट कर रह जाते हैं. यह सुविधा बंद होने के बाद वरिष्ठ नागरिकों की जीवन अवधि कम हो जाएगी.”
सरकार का यह निर्णय पीड़ादायक
“वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायत छीनना सरकार का गलत निर्णय है. यह सुविधा आजादी के समय से ही वरिष्ठ नागरिकों को मिल रही थी. कोरोना काल में तो ठीक था, लेकिन अब जब सबकुछ सामान्य है तो सुविधा बहाल करना चाहिए. सरकार का यह पीड़ादायक निर्णय है. तमाम संगठनों को इसका विरोध करना चाहिए.”
यह वरिष्ठ नागरिकों का अधिकार है, सरकार हमारा हक मार रही है
“सरकार का यह निर्णय सरासर गलत है. यह सरकार तो आम आदमी के मुंह से निवाला छीनने पर तुली हुई है. एक-एक कर तमाम सुविधाएं छीन रही है. कोरोना काल में चलिए दिक्कत थी. अब जब सब कुछ सामान्य है तो सरकार वरिष्ठ नागरिकों को उनका हक दे. यह वरिष्ठ नागरिकों का अधिकार है. सरकार तो हमारा हक मार रही है.”
यह निर्णय हमारे मौलिक अधिकारों का हनन
“सरकार या रेलवे बोर्ड का यह निर्णय हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है. ऐसा तो किसी भी सरकार ने नहीं किया. यह सरकार तो जीने का कोई रास्ता ही नहीं छोड़ना चाहती. वैसे ही बुजुर्ग हर तरफ से अपने आपको उपेक्षित महसूस करते हैं. यात्रा में छूट मिलती थी तो कहीं घूम-फिर कर अपना समय बिता पाते थे. अब तो यह उम्मीद भी सरकार ने छीन ली.”
सरकार को आखिर कौन सा कुबेर का खजाना मिल जाएगा
“सरकार के विकास के तमाम दावे और वादे तो ठीक हैं, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार छीन कर यह सरकार आखिर क्या साबित करना चाहती है. रेलवे में यात्रा करने वाले दो-तीन प्रतिशत वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट समाप्त करके सरकार को आखिर कौन सा कुबेर का खजाना मिल जाएगा. जल्द से जल्द यह सुविधा बहाल की जानी चाहिए.”
सरकार एक-एक कर आम आदमी से उनके अधिकार छीन रही है
“सरकार एक-एक कर वरिष्ठ नागरिकों ही नहीं आम आदमी से उनके अधिकार छीन रही है. पेंशन छीन लिया. सरकारी नौकरियां नहीं मिल रही हैं. अब वरिष्ठ नागरिकों से यात्रा में मिलने वाली रियायत छीन ली. आखिर सरकार को आम आदमी को कुछ देने के बजाए हर चीज छीनने का जुनून क्यों सवार हो गया है. यह समझ में नहीं आता. रियायत जल्द बहाल हानी चाहिए.”
सरकार वरिष्ठ नागरिकों को घर के एक कोने में ही कैद करके रख देना चाहती है
“वरिष्ठ नागरिकों को जो सुविधा मिलती थी, वो मिलनी ही चाहिए. रेल यात्रा में छूट मिलती थी तो गाहे-बगाहे अपने गांव, रिश्तेदार या किसी तीर्थ स्थान पर घूम-फिर आते थे. अब जब छूट बंद हो गई है तो कहीं जाने की हिम्मत ही नहीं जुट पा रहे हैं. लगता है सरकार वरिष्ठ नागरिकों को घर के एक कोने में ही कैद करके रख देना चाहती है. तत्काल छूट बहाल की जानी चाहिए.”
रेल मंडल स्तर पर इस मामले में कुछ भी नहीं किया जा सकता
“किसी को रियायत देना या न देना रेलवे बोर्ड के स्तर का निर्णय है. रेल मंडल स्तर पर इस मामले में कुछ भी नहीं किया जा सकता. क्योंकि पॉलिसी तो रेलवे बोर्ड ही तय करता है. जहां तक फिर से रियायत देने की बात है तो यह निर्णय भी बोर्ड ही लेगा.”