NewDelhi : प्रशांत भूषण फिर सुर्खियों में हैं. ताजा मामला रोहिंग्या शरणार्थियों की तरफदारी का है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है कि जम्मू की जेल में हिरासत में रखे गये 150 से ज्यादा रोहिंग्या को रिहा किया जाये और उनका प्रत्यर्पण रोका जाये. प्रशांत भूषण की इस अर्जी पर सोशल मीडिया में उनका नाम ट्रेंड होने लगा है. ट्विटर पर शनिवार सुबह 11 बजे तक प्रशांत भूषण को लेकर 7,000 से ज्यादा ट्वीट किए जा चुके थे. बजरंग दल ने प्रशांत भूषण का पुतला फूंका है.
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शरणार्थी पहचानपत्र जारी करने की मांग
अधिकतर में उन्हें भरा-बुला कहा जा रहा था. बता दं कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक मामले में हस्तक्षेप अर्जी दायर कर गृह मंत्रालय को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वह अनौपचारिक शिविरों में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) के जरिए तीव्र गति से शरणार्थी पहचानपत्र जारी करे.
समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार रोहिंग्या शरणार्थी मुहम्मद सलीमुल्ला ने वकील प्रशांत भूषण के जरिए दाखिल याचिका में कहा है कि यह जनहित में दायर की गयी है, ताकि भारत में रह रहे अवैध तरीके से रह रहे शरणार्थियों को प्रत्यर्पित किये जाने से बचाया जा सके. याचिका में यह भी कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के साथ ही अनुच्छेद 51 (सी) के तहत प्राप्त अधिकारों की रक्षा के लिए यह याचिका दाखिल की गयी है.
याचिका में कहा गया है कि शरणार्थियों को सरकारी सर्कुलर को लेकर एक खतरे का सामना करना पड़ रहा है. यह सर्कुलर अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देता है.याचिका में यह सर्वोच्च अदालत से रोहिंग्या को शरणार्थियों कार्ड मुहैया कराने के लिए भी सरकार को निर्देश दिये जाने को कहा गया है
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खुफिया विभाग ने अलर्ट जारी किया
बता दें कि शरणार्थियों को लेकर देश के खुफिया विभाग ने एक बड़ा अलर्ट जारी किया है. जम्मू-काश्मीर में रोहिंग्या शरणार्थियों के पहुंचने की जांच-पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार म्यांमार में नस्ली भेदभाव और हिंसा शुरू होने के काफी पहले से रोहिंग्या को जम्मू में लाकर बसाने का सिलसिला शुरू हो गया था. इनमें दो दर्जन से अधिक रोहिंग्या परिवार ऐसे मिले हैं, जो 1999 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार के दौरान ही जम्मू आकर बस गये थे. हालांकि म्यांमार से रोहिंग्या का बड़े पैमाने पर पलायन 2015 में शुरू हुआ था.
म्यांमार में नस्ली हिंसा असली वजह नहीं है
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब यह साबित हो गया है कि जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों के पहुंचने के पीछे म्यांमार में नस्ली हिंसा असली वजह नहीं है. उन्हें एक बड़ी साजिश के तहत लंबे समय से म्यांमार से जम्मू में लाकर बसाया जाता रहा है. जम्मू-कश्मीर के एक एनजीओ को बड़े पैमाने पर पाकिस्तान, यूएई और सऊदी अरब से फंड मिलने के संकेत मिले हैं.
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बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जम्मू में शनिवार को प्रदर्शन किया.
प्रशांत भूषण और फारूक अब्दुल्ला से नाराज बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जम्मू में शनिवार को प्रदर्शन किया. बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने फारूक अब्दुल्ला और प्रशांत भूषण का पुतला भी फूंका. बजरंग दल ने आरोप लगाया कि नब्बे के दशक में जब आतंकवाद के चलते कश्मीर घाटी से पंडितों को निकाला जा रहा था, उस समय फारूक अब्दुल्ला ने पीड़ित पंडितों के समर्थन में कुछ नहीं कहा.
अब, जबकि रोहिंग्या को निकाला जा रहा है, तब उन्होंने समर्थन में मानवता का पाठ याद आ रहा है. बजरंग दल ने केंद्र सरकार से अपील की है कि फारूक अब्दुल्ला और प्रशांत भूषण के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए.