Kaushal Kumar
Ranchi : झारखंड की रूपा रानी तिर्की और लवली चौबे इस समय सुर्खियों में हैं. जिस खेल को पूरी दुनिया अच्छी तरह जानती भी नहीं, उस खेल में झारखंड की दोनों बेटियों ने कॉमनवेल्थ गेम्स में न सिर्फ राज्य का बल्कि देश का नाम रौशन किया है. इन्होंने देश के लिए सोना जीतकर पूरे भारत को गौरवान्वित किया है. दरअसल, ये दोनों महिला खिलाड़ी भारतीय महिला लॉन बाल टीम का हिस्सा हैं. चार खिलाड़ियों की टीम स्पर्धा के सेमीफाइनल में झारखंड की इन बेटियों ने न्यूजीलैंड को 16-13 से हराकर इतिहास रच दिया. वहीं फाइनल मैच में साउथ अफ्रीका को हरा कर गोल्ड जीत लिया है. इन्होंने अपने प्रयास से राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड पदक दिलाया है. चार महिला खिलाड़ियों की इस टीम को लवली चौबे लीड कर रही थीं. वहीं पिंकी, नयनमोनी सेकिया और रूपा रानी तिर्की टीम का हिस्सा रहीं. रूपा रानी तिर्की और लवली चौबे का झारखंड से गहरा नाता है.
उनकी जिंदगी का सबसे हसीन क्षण- परिजन
38 वर्षीय लवली चौबे झारखंड पुलिस में सिपाही हैं. वहीं रूपा रानी तिर्की खेल विभाग में कार्यरत हैं. वह रांची की रहने वाली हैं. लवली चौबे के पति अरविंद सिंह और रूपा रानी तिर्की की बहन रीमा रानी तिर्की कहती हैं कि भारत के लिए गोल्ड जीतकर लाना उनकी जिंदगी का सबसे हसीन क्षण है. उल्लेखनीय है कि इस खेल में भारत को पहली बार कामनवेल्थ गेम्स में गोल्ड पदक हासिल हुआ है. इससे पहले इस खेल में एक भी पदक हासिल नहीं हुआ था. इस नजरिए से भी यह ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है.
पूरा यकीन था कि इस बार गोल्ड मेडल मिलेगा- रीमा रानी तिर्की
लवली चौबे के पति अरविंद सिंह और रूपा रानी तिर्की की बहन रीमा रानी तिर्की ने बताया कि उन्हें पूरा यकीन था कि इस बार कामनवेल्थ गेम्स में गोल्ड उनके नाम होगा. जब इनकी टीम ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड की टीम को पराजित कर दिया, उसी समय यह यकीन पुख्ता हो गया कि अब गोल्ड भी उनके नाम होगा. मैच के दौरान जैसे ही यह टीम गोल्ड विजेता बनी, चारों खिलाड़ी खुशी से उछल पड़ीं.
इस बार सपना पूरा हो गया- लवली चौबे
लवली चौबे के अनुसार, वह तीसरी बार कामनवेल्थ गेम्स में भाग लेने पहुंची थी. बताया कि भारत चार साल पूर्व महज एक अंक से पदक लाने से चूक गया था. इस बार सपना पूरा हो गया. देश के लिए खेलना और गोल्ड लाना उनकी जिंदगी का रोचक इतिहास बन गया. बता दें कि लवली चौबे झारखंड पुलिस में कांस्टेबल की पद पर कार्यरत हैं. उन्हें इस खेल में भाग लेने के लिए छुट्टी नहीं मिल रही थी. वह फिर भी वहां गयी. नो वर्क नो पे होने के बावजूद वह खेली और गोल्ड जीती है. उन्होंने कहा, अब भारत में यह खेल और चर्चित होगा बताया कि उनकी टीम की पिंकी दिल्ली की रहने वाली हैं. वह खेल शिक्षिका हैं. वहीं नयनमोनी असम की रहने वाली हैं. वह एक गरीब किसान परिवार से आती हैं. वन विभाग में काम करती हैं.
पहले वह फर्राटा धाविका थीं लवली चौबे- पति अरविंद सिंह
लवली चौबे के पति अरविंद सिंह ने बताया कि पहले वह फर्राटा धाविका थीं. लेकिन चोट लगने के कारण उन्हें इस खेल में आना पड़ा. उन्होंने इसी में अपना करियर बनाया. इस खेल के लिए हरा-भरा खेल मैदान और गेंद की जरूरत पड़ती है. लेकिन भारत में इस खेल के गेंद का निर्माण नहीं होता है. इस कारण इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया जैसे देशों से इसे मंगाना पड़ता है. भारत में भी इस खेल का गेंद बनना चाहिए, इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.
सुविधाएं ना के बराबर, फिर भी गोल्ड मेडल दिलाया- कोच मधुकांत पाठक
बता दें कि लॉन बॉल का झारखंड में सिर्फ एक ही प्रैक्टिस का मैदान है, जो नामकुम में स्थित है. कोच मधुकांत पाठक हैं. उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों को सुविधाएं ना के बराबर है. इसके बाद भी इतनी बड़ा मुकाम हासिल करना बड़ी बात है. जिस खेल को सभी लोग जानते भी नहीं, उसमें यहां की बेटी ने गोल्ड मेडल दिलाया है, इससे बड़ी उपलब्धि देश के लिए कुछ नहीं हो सकती. लवली के पति अरविंद सिंह ने बताया कि वह राजधानी रांची में कई बार क्रिकेटर महेंद्र सिंह धौनी से मुलाकात कर चुकी हैं. महेंद्र सिंह धौनी जब कभी देउड़ी मंदिर पूजा करने के लिए पहुंचते थे, तो उनके खेल मैदान में जरूर आते थे.
सही मार्गदर्शन से यह मुकाम हासिल हो पाया- रीमा रानी तिर्की
वही रूपा रानी तिर्की की बहन रीमा रानी तिर्की जो कि खुद स्पोर्ट्स टीचर है, ने बताया कि लगभग 15 साल पहले ही उनके पिता का देहांत हो गया था. वह अपनी तीन बहन और मां के साथ रहती है. एक तरफ वह जेपीएससी में भी सफल हुई और दूसरी तरफ लॉन बॉल में भी गोल्ड मेडल जीती. कोच और परिवार वालों के सही मार्गदर्शन से यह मुकाम हासिल हो पाया है.
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