Bermo: मरीजों का सरकारी अस्पताल में बेहतर इलाज हो इसके लिए राज्य सरकार ने सरकारी चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगा रखी है. निजी प्रैक्टिस की पाबंदी पर चिकित्सकों की अपनी राय है. इसे जानने लगातार मीडिया की टीम शुक्रवार को दौरे पर निकली और उनकी राय जानी.
इस मामले पर गोमिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ जितेंद ने लगातार मीडिया से कहा कि सरकारी डॉक्टरों के प्रैक्टिस पर रोक घातक सिद्ध होगा. सरकारी चिकित्सक इस तरह के निर्देश को बर्दाश्त नहीं करेंगे. रविवार को आइएमए की बैठक रांची में है. बैठक में तय होगा कि आगे क्या करना है. वैसे सरकार को सभी स्तर पर वार्ता कर समस्या का समाधान करने का प्रयास करना होगा. यदि हल नहीं निकला तो वे इस्तीफा देना मंजूर करेंगे.
उन्होंने कहा कि जब उनकी बहाली हुई थी, उस समय इस तरह की कोई शर्त नहीं थी. यदि बहाली के समय ही प्रैक्टिस नहीं करने की शर्त होती तो वे केंद्र सरकार के किसी भी प्रतिष्ठान के स्वास्थ्य विभाग में चले जाते. वहां राज्य सरकार से तीन गुणा ज्यादा सुविधा मिलती. यहां तो पेंशन तक की योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि 2016 में यह मामला उठा था. चिकित्सकों के सामूहिक विरोध के बाद इसे वापस लेने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन पांच साल बाद फिर उस जीन को निकाला गया है.
CHC प्रभारी ने कहा कि चिकिसकों को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से यह निर्देश जारी किया जा रहा है. एक ओर चिकित्सकों की भारी कमी है, दूसरी तरफ जो चिकित्सक सेवा दे रहे हैं, उन्हें भी हटाने की साजिश रची जा रही है. कहा कि राज्य और देश में ऐसे ही बेरोजगारी चरम पर है. छोटे-छोटे पूंजी वाले लोग क्लीनिक खोल कर रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं. वहीं इस तरह के निर्देश देकर छोटे-छोटे क्लीनिक बंद हो जाएंगे. लोग बेरोजगार हो जाएंगे. सरकार का यह आदेश बड़े पूंजीपतियों और आयुष्मान योजना के बीमा कंपनी की साजिश का परिणाम है.
उन्होंने कहा कि इस तरह के बेतुका जनहित विरोधी आदेश जारी कर छोटे क्लिनिक्स और अस्पतालों को बंदी की ओर धकेलने वाला निर्णय है. उन्होंने कहा कोविड काल में जब पूरी व्यवस्था चरमरा गई थी, तब इन्हीं सरकारी चिकित्सकों और छोटे-छोटे क्लीनिक ने आगे बढ़कर अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की सेवा की थी. लिहाजा सरकार को किसी के बहकावे में न आकर राज्यहित में काम करना चाहिए. इसके बाद भी यदि सरकार इस निर्देश को जारी रखती है तो बैठक के बाद चिकित्सकों की इस्तीफा देना विवशता होगी.
इसे भी पढ़ें- मोदीजी धीरे चलना, बड़े खतरे हैं सियासत की इस राह में