New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य सलाहकार पीके सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने सोमवार को ही अपना इस्तीफा सौंप दिया था. नृपेंद्र मिश्रा के इस्तीफे के बाद मोदी ने पूर्व कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा को 2019 में प्रमुख सलाहकार नियुक्त किया था. सिन्हा ने इस्तीफे के पीछे निजी कारणों का हवाला दिया है. सिन्हा को पीएमओ में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) नियुक्त किया गया था. हालांकि सरकार की ओर से सिन्हा के इस्तीफे पर अभी कोई जानकारी नहीं दी गयी. अभी तक सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर उनका ही नाम है.
ये भी पढ़ें – इन पांच बैंक में है आपका खाता, तो हो जायें सावधान, मैसेज के जरिये अकाउंट खाली कर रहे साइबर ठग
कैबिनेट सचिव रह चुके हैं सिन्हा
पीके सिन्हा ने इलाहाबाद में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. केंद्र सरकार ने 2015 में कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया था. कैबिनेट सचिव का कार्यकाल आमतौर पर दो साल तक ही होता है. उत्तरप्रदेश कैडर के आइएएस अधिकारी पीके सिन्हा इससे पहले ऊर्जा सचिव थे. 1977 बैच के सचिवों में सबसे सीनियर होने के नाते उनकी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उन्हें कैबिनेट सचिव नियुक्त किया था.
यह भी देखें –
कई अहम पदों पर रहे हैं यूपी कैडर के अधिकारी
पीके सिन्हा भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों में कई प्रमुख पदों पर कार्य कर चुके हैं. वह प्रधान सचिव (सिंचाई), वाराणसी मंडल के आयुक्त, ग्रेटर नोएडा के अतिरिक्त सीईओ, उत्तर प्रदेश के निवेश आयुक्त, आगरा और जौनपुर के डीएम, उत्तरांचल विकास प्राधिकरण के सचिव और उत्तर प्रदेश सरकार में मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में सेवा दे चुके हैं.
2015 में कैबिनेट सचिव नियुक्त हुए थे पीके सिन्हा
वह भारत के कैबिनेट सचिव, केंद्रीय ऊर्जा सचिव, जहाजरानी सचिव, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में विशेष सचिव और वित्तीय सलाहकार तथा भारत सरकार में युवा मामले और खेल मंत्रालय में संयुक्त सचिव भी रहे. मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा 29 मई 2015 को सिन्हा को भारत का कैबिनेट सचिव नियुक्त किया गया था.
ये भी पढ़ें – हेमंत सरकार ने माना कि रघुवर काल में चलते थे स्पेशल ब्रांच के दो कार्यालय