Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) के जोड़ाफटक रोड स्थित शक्ति मंदिर श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन 6 अगस्त को वृंदावन से पधारीं कथा वाचिका कृष्णप्रिया जी ने भगवान के अवतार की व्याख्या की. कहा कि धरती पर जब-जब अत्याचार बढ़ा भक्तों के कल्याण के लिए भगवान को अवतार लेना पड़ा. दुष्टों का संहार कर भगवान ने आमजन की रक्षा की. कृष्णप्रिया जी ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया. कहा कि कंस का अत्याचार बढ़ा तो देवकी के आठवें पुत्र के रूप में भगवान कृष्ण ने जन्म लिया. प्रभु की माया से जेल के सभी ताले खुल गए, पहरेदार सो गए और पिता वासुदेव कृष्णजी को लेकर गोकुल छोड़ आए. कथा के दौरान कृष्णजन्म पर नंदोत्सव की झांकी प्रस्तुत की गई. इसमें श्रद्धालु देर तक झूमते रहे. नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा.
पूर्ण अवतार थे राम और कृष्ण
भगवान के अवतारों पर चर्चा करते हुए कृष्णप्रिया ने कहा कि राम और कृष्ण भगवान के साक्षात अवतार थे. पूर्ण अवतार, अंशावतार, विशेष अवतार और नित्यावतार भगवान के अवतार हैं. भगवान या तो धर्म की पुन: स्थापना के लिए या धर्म पर आघात करने वालों के मूलोच्छेद के लिए अवतार लेते हैं अथवा भक्त की भक्ति से अभिभूत होकर दर्शन देकर उसका कल्याण करने के लिए अवतरित होते हैं. कुछ शंकालु लोग कहते हैं कि भगवान श्री राम और श्री कृष्ण अवतार नहीं, महापुरुष हैं. श्री कृष्ण अवतार नहीं केवल योगीराज हैं. गीता में उन्होंने स्वयं कहा है- मैं ही भगवान हूं. दृढ़ विश्वास व निष्ठा कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं. जो भगवान के अवतारों की कथा सुनता है, उसके सारे पाप दूर हो जाते हैं और जन्म बंधन के सारे कष्टों से मुक्त हो जाता है.
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