New Delhi : चिकित्सकीय गर्भपात संशोधन विधेयक-2020 को संसद ने पारित कर दिया है. राज्यसभा ने बुधवार को इसे मंजूरी दी. लोकसभा से यह बिल पिछले वर्ष मार्च में ही पारित हो चुका है. इस विधेयक में 24 सप्ताह तक के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति दी गयी है. पारित विधेयक में महिला की प्राइवेसी का सम्मान करने और प्रक्रिया की गोपनीयता सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है.
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विधेयक में महिला की सुरक्षा सुनिश्चित की गयी है
स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने इस विधेयक के बारे में कहा कि इसमें महिला की सुरक्षा सुनिश्चित की गयी है. इसे प्रगतिशील बताते हुए मंत्री ने कहा कि यह महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए है. इसके लिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट-1971 में संशोधन किया गया है.
विधेयक इन शर्तों को भी करता है नियंत्रित
यह विधेयक इन शर्तों को भी नियंत्रित करता है. जिसके तहत गर्भपात कराया जा सकता है. अभी गर्भपात कराने के लिए डॉक्टर की सलाह की जरूरत पड़ती है. यदि गर्भपात गर्भधारण के 12 सप्ताह के भीतर किया जाता है तो एक डॉक्टर और अगर 12 से 20 सप्ताह के अंदर किया जाता है तो दो डॉक्टरों की राय की आवश्यकता पड़ती है.
अब यह प्रावधान किया गया है कि 20 सप्ताह के अंदर होनेवाले गर्भपात के लिए एक डॉक्टर की सलाह की जरूरत होगी.
कुछ विशेष श्रेणी वाली महिलाओं के मामले में 20 से 24 सप्ताह में गर्भपात की स्थिति में दो डॉक्टरों के परामर्श की जरूरत पड़ेगी. विधेयक में राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड के गठन का प्रावधान रखा गया है. यह बोर्ड यह निर्णय लेगा कि यदि भ्रूण में किसी तरह की विशिष्ट विरूपता पायी जाती है, तो 24 सप्ताह के बाद भी गर्भपात किया जा सकेगा.