Mumbai : एनसीबी के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े को जाति प्रमाण पत्र मामले में कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने क्लीन चिट दे दी है. बता दें कि इस मामले में एक साल से विवाद चल रहा था. समिति ने वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र को भी मान्यता दे दी है. 91 पन्नों के एक आदेश में पैनल ने दोनों पक्षों से सबमिशन को हटा दिया और फिर कहा कि वानखेड़े जन्म से मुस्लिम नहीं थे. समिति ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि समीर वानखेड़े और उनके पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिंदू धर्म का त्याग नहीं किया था और मुस्लिम धर्म को अपनाया था.
The Caste Scrutiny Committee in Maharashtra has scrapped the complaints filed against us. All the factual documents that we’d submitted are valid. Sameer Wankhede and his father definitely belong to the Scheduled Caste Mahar community: Sameer Wankhede, former NCB’s zonal director https://t.co/BPYQDb3SVZ pic.twitter.com/YNN5Gkx71F
— ANI (@ANI) August 13, 2022
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समीर वानखेड़े ने ट्विटर पर लिखा, सत्यमेव जयते
समिति के आदेश में कहा गया है कि समीर वानखेड़े और उनके पिता महार-37 अनुसूचित जाति से हैं जिसे हिंदू धर्म में मान्यता प्राप्त है. वानखेड़े ने इस आदेश के तुरंत बाद ट्विटर पर लिखा, सत्यमेव जयते. समिति के अनुसार महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री और राकांपा नेता नवाब मलिक, मनोज संसारे, अशोक कांबले और संजय कांबले आदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत और दावों को साबित करने में सक्षम नहीं हुए. बता दें कि इन्होंने समीर वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र के बारे में शिकायत दायर की थी.
वानखेड़े मुंबई में नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के प्रमुख थे
यह मामला पिछले साल जब वानखेड़े मुंबई में नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के प्रमुख थे, तब का है. वानखेड़े ने आरोप लगाया था कि मलिक ने उस समय एक कैबिनेट मंत्री के रूप में जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा केवल इसलिए उठाया था क्योंकि उनकी टीम ने मलिक के दामाद समीर खान को ड्रग मामले में गिरफ्तार किया था. खान 2021 की पहली छमाही में जेल में थे. रिहाई के बाद मलिक ने आरोप लगाना शुरू कर दिये
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वानखेड़े के पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिंदू धर्म त्याग दिया था
नवाब मलिक और अन्य का आरोप था कि वानखेड़े के पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिंदू धर्म त्याग दिया था और शादी करने के लिए मुस्लिम बन गये थे. उनकी पत्नी जन्म से मुस्लिम थी. आरोपों के अनुसार, वानखेड़े मुस्लिम पैदा हुए थे और उन्होंने उस धर्म में निहित रीति-रिवाजों से एक मुस्लिम महिला से शादी भी की थी. हालांकि, जब इस मामले में वानखेड़े को नोटिस जारी किया गया तो उनके वकील दिवाकर राय सहित वानखेड़े की कानूनी टीम ने विस्तार से आरोपों का जवाब दिया था.
जाति जांच समिति की अध्यक्षता अनीता मेश्राम (वानखेड़े) ने की थी और सलीमा तडवी सदस्य और सुनीता मेट सदस्य सचिव थीं. समिति के आदेश पर निराशा व्यक्त करते हुए वकील नितिन सतपुते ने कहा, समीर वानखेड़े की जाति को मेरे द्वारा पहले ही उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी है. हमें जाति जांच समिति से कोई ज्यादा उम्मीद नहीं थी. लेकिन उच्च न्यायालय में विश्वास है.