Ranchi : साल 2020 और विशेष तौर पर 2021 के कोरोना महामारी के समय सबसे ज्यादा परेशानी संक्रमण से मरे लोगों के शव को जलाने को लेकर हुई थी. ज्यादातर कोरोना संक्रमन से मरे लोगों को पहले तो रांची के हरमू स्थिति विद्युत शवदाह गृह में जलाया गया. लेकिन जब मशीन ने जवाब दे दिया, तो अस्थायी व्यवस्था के तहत नामकुम के घाघरा में शवों को जलाया गया. कमोवेश ऐसी ही स्थिति अन्य जिलों में भी देखी गयी. पढ़ें – Google के कर्मचारियों में हड़कंप, कंपनी ने दी छंटनी की चेतावनी, नयी भर्ती पर भी लगाई रोक
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मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनाया जा रहा विद्युत शवदाह गृह
भविष्य में आपदा आने पर शव को जलाने में परेशानी नहीं हो, इसलिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर नगर विकास विभाग अंतर्गत एजेंसी जुडको द्वारा राज्य के 16 नगर निकायों में विद्युत शवदाह गृह जो गैस से संचालित होंगे, बनाया जाना है. यह शवदाह गृह गिरिडीह, आदित्यपुर, चाईबासा, सरायकेला, धनबाद, चास, कोडरमा, सिमडेगा, दुमका, जुगसलाई, चतरा, लातेहार, खूंटी, गुमला और गोड्डा जैसे नगर निकायों में बनाया जायेगा. निकायों में बन रहे इस आधुनिक शवदाह गृह को लेकर जुडको ने डीपीआर तैयार की है. इस मॉडल के तहत एक शवदाह गृह निर्माण में 3 करोड़ (करीब 2.95 करोड़) रुपये खर्च किये जाएंगे.
रांची में विद्युत शवदाह गृह करीब एक दशक पुराना, नामकुम में निर्माणाधीन
रांची के हरमू में स्थित विद्युत शवदाह गृह का संचालन मारवाड़ी सहायक समिति द्वारा किया जा रहा है. समिति ने इसका नाम मोक्षधाम रखा है. यह करीब एक दशक पुराना है. पहले यहां पर शव को बिजली से जलाया जाता था, लेकिन अब यहां शव को गैस से जलाया जा रहा है. अभी यहां गैस सिलेंडर से ही बॉडी जलती है. जुडको की योजना यहां पर जल्द ही पाइपलाइन से गैस की आपूर्ति करना है. इसके अलावा जुडको द्वारा रांची के बूटी मोड़ स्थित जुमार नदी में भी मॉडर्न शवदाह गृह का निर्माण कराया जाना है. इसमें करीब 6.60 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे. यह शहर का दूसरा विद्युत शवदाह गृह होगा.
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हरमू स्थित मुक्तिधाम पर लगातार बढ़ रहा बोझ
बता दें कि रांची के हरमू में स्थित मुक्तिधाम को कई वर्षों पहले बनाया गया था. उस समय राजधानी की आबादी 3 लाख के करीब थी. आज राजधानी की जनसंख्या बढ़कर करीब 30 लाख तक पहुंच चुकी है. बढ़ती जनसंख्या के कारण हरमू मुक्तिधाम में भी दबाव बढ़ा है. हालांकि नामकुम, धुर्वा, कांके में अस्थायी तौर पर शव जलाने की व्यवस्था है. शव को जलाने के लिए लकड़ी की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है. इससे पेड़ों की कटाई भी तेजी से हो रही है. ऐसे में आज विद्युत शवदाह गृह की आवश्यकता महसूस होने लगी है. हरमू स्थित आधुनिक शवदाह गृह के अलावा शहर के अन्य इलाकों में भी आधुनिक शवदाह गृह का निर्माण होने से आम लोगों को काफी आसानी होगी.
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विद्युत शवदाह गृह में विधि व्यवस्था के तहत किया जायेगा दाह-संस्कार
जुडको द्वारा 16 नगर निकायों में बनने वाले विद्युत शवदाह गृह भवन में कई तरह के कामों को अंजाम दिया जाना है. इसमें ऑफिस, इंट्रनेस लॉबी, बरामदा, टॉयलेट, स्टोर रूम, वेटिंग हॉल, सीटिंग एरिया, शव जलाने के लिए भट्टी, गैस सिलेंडर स्टोर एरिया के अलावा पार्किंग, जेनरेटर की व्यवस्था की जाएगी. विद्युत शवदाह गृह में शव को जलाने में केवल 15 से 20 मिनट का समय लगेगा. एक साथ दो शव को जलाने की व्यवस्था रहेगी. शव को जलाने में तीन से चार हजार का खर्च आने का अनुमान है. यहां पर अंतिम संस्कार की सारी विधि व्यवस्था भी रहेगी. इसके लिए यहां पर पूजा के सामानों का दुकान भी बनाया जायेगा.
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