NewDelhi : न्याय देना केवल अदालतों का काम नहीं है, बल्कि इसमें कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की बराबर भूमिका है. बता दें कि चीफ जस्टिस एनवी रमना ने 15 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में तिंरगा फहराया. इस अवसर पर राज्य के हर अंग को न्याय देने की बात कही. उन्होंने कहा कि हमारा सुप्रीम कोर्ट दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा संरक्षक है.
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सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार से अधिक विचाराधीन मामले
अपने संदेश में CJI एनवी रमना ने कहा कि लोकतंत्र को बचाना देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है. उन्होंने आर्टिकल 38 का हवाला देते हुए कहा कि समाज में हर तरह के न्याय को सुनिश्चित करना राज्य की भी जिम्मेदारी है. राज्य के हर अंग को ऐसे काम करना चाहिए, जिससे संविधान खतरे में न पड़े. सीजेआई ने पेडिंग केसों पर निराशा जाहिर करते हुए बताया कि देशभर में 4 करोड़ केस पेंडिग हैं. अकेले सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार से अधिक विचाराधीन मामले हैं. कहा कि लॉकडाउन के दौरान कोर्ट बंद पड़े थे. ऐसे समय में लगातार केस बढ़ते गये और उन पर सुनवाई नहीं हो पायी.
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तीनों अंगों को मिलकर काम करना चाहिए: रिजिजू
कार्यक्रम में मौजूद लॉ मिनिस्टर किरण रिजिजू ने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका को साथ में मिलकर काम करना चाहिए. अगर हम एक साथ काम नहीं करते हैं, तो हम एक दूसरे को नहीं समझेंगे. अगर हम एक-दूसरे को नहीं समझेंगे तो हम कभी भी इस देश की समस्याओं का समाधान नहीं कर पायेंगे.
रिजिजू ने कहा कि मुझसे संसद में सवाल किए जाते हैं कि देश में इतने ज्यादा मामले क्यों पेंडिग हैं, तब मेरे पास जवाब नहीं होता है.न्यायपालिका 2 साल में लंबित मामलों को समाप्त कर सकती है, लेकिन सरकार की सक्रिय भूमिका के बिना ऐसा करना पाना मुश्किल है.