New Delhi : उच्चतम न्यायालय ने कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (CoA) के कार्यकाल को खत्म करने का आदेश दिया है. साथ ही भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसमें कार्यों के संचालन के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया गया था. उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गठित सीओए को अगले आदेश तक भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के मामलों को नहीं संभालने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही भारतीय फुटबॉल महासंघ में चुनाव को एक हफ्ते के लिए टाल दिया है, जिससे अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप की मेजबानी हो सके. बीते दिनों फीफा ने तीसरे पक्ष के हस्तपेक्ष के कारण भारतीय फुटबॉल महासंघ पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे भारत के हाथों से अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप की मेजबानी निकलते हुए नजर आ रही थी.
वर्ल्ड कप की मेजबानी बचाने के लिए कोर्ट का आदेश
- सुप्रीम कोर्ट ने CoA को भंग किया
- SC के आदेश दिनांक 3 अगस्त, 2022 के अनुसार निर्धारित चुनाव कार्यक्रम में चुनाव की तिथि को 1 सप्ताह की अवधि तक बढ़ा कर संशोधित किया जाता है.
- 5 सितंबर को होने वाले चुनाव के लिए मतदाता सूची में 36 राज्य संघ के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
- कार्यकारी समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष समेत 23 सदस्य होंगे. मतदाता सूची में AIFF के राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सदस्य संघों के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि AIFF के जनरल सेकेट्री जनरल रोजाना का कामकाज देखेंगे_
भारतीय फुटबॉल संघ का चुनाव 28 अगस्त की बजाय 5 सितंबर को होंगे
इसके बाद केंद्र सरकार ने इस बैन को हटाने की कोशिश में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और याचिका लगाई. जिस पर लंबी सुनवाई हुई और इस सुनवाई ने उम्मीद जगा दी है. अब भारतीय फुटबॉल संघ के चुनाव 28 अगस्त की बजाय 5 सितंबर को होंगे. कोर्ट ने कहा कि सरकार फीफा के साथ बातचीत कर रही है और इसका समाधान निकालने के लिए उसे बुलाया गया था. कोर्ट ने कहा कि अंडर 17 वर्ल्ड कप की अहमियत को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया गया है.
केंद्र ने भी CoA के कार्यकाल को खत्म करने की अपील की थी
इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (CoA) के कार्यकाल को खत्म करने की अपील की थी. इसके साथ ही अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन की देखभाल एआईएफएफ प्रशासन को देने की मांग की थी. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह सीओए को 23 अगस्त तक एआईएफएफ के लिए फाइनल ड्राफ्ट कोर्ट में जमा करने का निर्देश दे. साथ ही सीओए के कंट्रोल को अगस्त से पूरी तरह खत्म किया जाए. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ही एआईएफएफ के मामलों के प्रबंधन के लिए तीन सदस्यीय सीओए की नियुक्ति की थी.
थर्ड पार्टी के दखल की वजह से फीफा ने किया था निलंबित
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फीफा की चिंताओं में से एक यह था कि एआईएफएफ का प्रशासन और प्रबंधन एक विधिवत निर्वाचित निकाय द्वारा किया जाना चाहिए, लेकिन किसी भी मामले में किसी थर्ड पार्टी को नहीं होना चाहिए.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को गिनायी फीफा की चिंता
केंद्र ने कहा कि फीफा की चिंता यह भी थी कि एक नई कार्यकारी समिति के चुनाव कराने के लिए एआईएफएफ की आम सभा एक इनडिपेंडेंट इलेकट्रोल कमेटी का चुनाव करे. इसके साथ ही फीफा की चिंता यह भी थी कि चुनाव जल्द से जल्द हो और एक इलेक्टेड बॉडी को एआईएफएफ के कामकाज का संचालन फिर से शुरू करना चाहिए. केंद्र ने फीफा की चिंता की ओर इशारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एआईएफएफ संविधान को फीफा और एएफसी की जरूरतों के अनुसार संशोधित किया जाना है. इसलिए इसे एआईएफएफ महासभा द्वारा किसी थर्ड पार्टी के हस्तक्षेप के बिना अनुमोदित किया जाना चाहिए.
क्या है पूरा मामला
केंद्र ने एआईएफएफ को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के फीफा परिषद के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. जिसने अक्टूबर में होने वाले अंडर -17 महिला विश्व कप की मेजबानी करने का भारत का अधिकार छीन लिया है. फीफा के नियमों के मुताबिक, सदस्य संघों को अपने-अपने देशों में कानूनी और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन फुटबॉल (फीफा) ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है. फीफा ने बताया कि नियमों के उल्लंघन की वजह से यह फैसला किया गया. फीफा ने थर्ड पार्टी के दखल की वजह से यह फैसला लिया, जिसके कारण भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को अपने 85 साल के इतिहास में पहली बार फीफा से निलंबन झेलना पड़ा.
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