Varanasi : ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी व अन्य देव विग्रहों के नियमित पूजन वाले केस की पोषणीयता पर आज बुधवार को सुनवाई हुई. जान लें कि जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दो चरणों में लगातार तीसरे दिन सुनवाई हुई. खबर है कि आज लगभग साढ़े तीन घंटे सुनवाई की गयी. आज पहले प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अपनी अधूरी बहस पूरी की. उसके बाद हिंदू पक्ष ने प्रतिउत्तर दिया. बता दें कि अब दोनों पक्षों की बहस पूरी हो चुकी है. उसके बाद जिला जज की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. जिला जज अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 12 सितंबर तय की है. माना जा रहा है कि अब 12 सितंबर को अदालत अपना फैसला सुनायेगा कि मां श्रृंगार गौरी का केस सुनवाई योग्य है या नहीं
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अंजुमन मसाजिद कमेटी ने कहा, केस सुनवाई योग्य नहीं
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से की गयी बहस में कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है. इसलिए ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मसले की सुनवाई का अधिकार सिविल कोर्ट को नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड को है. कहा कि देश की आजादी के समय ज्ञानवापी मस्जिद का जो धार्मिक स्वरूप था, वह आज भी कायम है. उसका धार्मिक स्वरूप अब बदला नहीं जा सकता है. ऐसे में यह केस मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है.
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हिंदू पक्ष ने कहा, मुलायम सरकार ने 1993 में श्रृंगार गौरी के दर्शन पर रोक लगाई
अपने प्रति उत्तर में वादिनी महिलाओं की ओर से कहा गया कि आलमगीर मस्जिद के कागजात पेश कर प्रतिवादी पक्ष उसे ज्ञानवापी मस्जिद बता रहा है. प्रतिवादी पक्ष ज्ञानवापी को वक्फ की संपत्ति बताकर धोखाधड़ी कर रहा है. देश की आजादी के दिन से 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की पूजा होती रही है. मां श्रृंगार गौरी की पूजा पर तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव की सरकार ने अचानक और अनायास ही प्रतिबंध लगाया था. ऐसे में श्रृंगार गौरी का मुकदमा सुनवाई के योग्य है.