Ranchi: राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) में जेनेटिक्स एंड जिनोमिक्स विभाग का उद्घाटन 06 जुलाई को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की उपस्थिति में हुआ था. विभाग की स्थापना का उद्देश्य डीएनए समेत कई महत्वपूर्ण जांच करना था. लेकिन विभाग की स्थापना के 52 दिन के बाद भी यहां सिर्फ कोरोना के 384 सैंपल की सीक्वेंसिंग हो सकी है. जिसमें ओमिक्रॉन और इसके सब वैरिएंट सेटोरेंस की पुष्टि हुई. गौरतलब है कि लंबी प्रक्रिया और हाईकोर्ट की फटकार के बाद रिम्स में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी हुई. लेकिन जिस उद्देश्य के लिए मशीन खरीदा गया वो पूरा होता नहीं दिख रहा है.
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विभाग के पास सिर्फ कोविड जांच का रिएजेंट उपलब्ध
वहीं रिम्स बायोकेमिस्ट्री विभाग की एचओडी डॉ अनुपा प्रसाद ने कहा कि जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन से होल एक्सोम की जांच संभव है. क्योंकि हमारे पास सिर्फ कोविड की जांच के लिए ही रिएजेंट उपलब्ध है. वहीं जेनेटिक्स एंड जिनोमिक्स विभाग की पूरी तरह से संचालित करने के लिए तीन और मशीन की जरुरत है. जिसके लिए विभाग के द्वारा पत्राचार किया गया है.
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384 तरह की जांच संभव
जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन से कोरोना के वैरिएंट के साथ 384 अन्य संक्रमण का जांच भी संभव है. थैलीसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, न्यूरोलॉजी संबंधी जांच और डीएनए का जांच करने के उद्देश्य से लगाया गया था.