Bismay Alankar
Hazaribagh : हजारीबाग के छड़वा डैम में पहली बार ग्रेटर वाइट फ्रंटेड गूज या श्वेतमुखी हंस देखा गया है. झारखंड ही नहीं बिहार और ओडिशा में भी इस हंस के देखे जाने की अबतक कोई पुष्टि नहीं है. पर्यावरण प्रेमियों के लिए यह बहुत ही उत्साहजनक खबर है. हजारीबाग के विभिन्न जलस्रोत में हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है, इनमें से अधिकतर पक्षी हिमालय के तराई वाले क्षेत्र और साइबेरिया के इलाके से आते हैं. ग्रेटर वाइट फ्रंटेड गूज या श्वेतमुखी हंस यूरोपीय देशों और उत्तरी अमेरिका में पाए जाते हैं. इस पक्षी को बंगाल में देखा गया है लेकिन बिहार, ओडिशा और झारखंड में इसका कभी नहीं देखा गया है. ऐसे में हजारीबाग में इसके देखे जानें कि यह पहली रिपोर्टिंग है. वैसे जहां यह देखा गया है, उस छड़वा डैम में पिछले साल बार हेडेड गूज, कॉमन पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, लिटिल ग्रिब, कॉमन कूट, टफ्टेड डक सहित अन्य मेहमान पक्षी आए थे. इस बार भी इन पक्षियों का समूह धीरे-धीरे यहांं पहुंचने लगा है.
नेचर फोटोग्राफर अमित जैन ने इस दुर्लभ प्रवासी पक्षी की उतारी तस्वीर
हजारीबाग के नेचर फोटोग्राफर और बर्डवाचर अमित जैन ने इस दुर्लभ प्रवासी पक्षी की तस्वीर 18 और 19 नवंबर को उतारा है. अनुमान है कि 17 नवंबर को यह जोड़ा यहां पहुंचा है. अमित ने बताया कि ग्रेटर वाइट फ्रंटेड गूज का मूल निवास उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देश हैं. ये पक्षी वहां से झारखंड आने में इन्हें कम से कम 5000 से 11000 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है. अमित ने कहा कि उसे इन पक्षियों को देखने के लिए बहुत मेहनत की है. पक्षियों पर काम करने वाली संस्था ई-बर्ड के अनुसार झारखंड बिहार, ओडिशा से इसकी रिपोर्टिंग नहीं हुई है. साथ ही अभी तक भारत में बर्ड वाचर्स ने मात्र 328 बार ही इसे देखा है. ई-बर्ड, चिड़ियों को देखने के बाद उसकी सूचना डालने का इंटरनेट प्लेटफार्म है. असम और ओडिशा से इसकी रिपोर्टिंग की गई है लेकिन बिहार-झारखंड से इसकी कोई रिपोर्ट नहीं है.
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क्यों है पक्षी प्रेमियों में उत्सुकता
प्रवासी पक्षी वर्षों से एक ही जलाशय या पानी के स्रोतों में उतरते हैं और हर साल वहां आना पसंद करते हैं. अगर उन्हें पर्याप्त भोजन मिलता रहे और इंसानी छेड़छाड़ ना के बराबर हो. वर्षों बाद पक्षियों का नए स्रोत का चयन ऐसे ही किसी नए जोड़े का पानी के स्रोत के पास जाकर किया जाता है. अभी रांची के धुर्वा डैम में पिछले 3 साल से एक प्रवासी पक्षी साइकेटेड डक को देखा जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि अब और भी इस प्रजाति के पक्षी यहां आएंगे. हजारीबाग के पक्षी प्रेमी इस खबर से उत्साहित हैं कि अब आने वाले वर्षों में अधिक संख्या में ग्रेटर वाइट फ्रंटेड गूज या श्वेतमुखी हंस देखा जा सकेगा.
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ग्रेटर वाइट फ्रंटेड गूज का देखा जाना सुखद है : डॉ सत्य प्रकाश
पक्षियों पर शोध करने वाले इंडियन बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क के स्टेट कोऑर्डिनेटर झारखंड डॉ सत्य प्रकाश ने गूज की तस्वीर को देखकर पुष्टि की है कि यह ग्रेटर वाइट फ्रंटेड गूज है. उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि अब राज्य में आने वाले पक्षियों की संख्या में एक और की बढ़ोतरी हो गई. हजारीबाग के जंगल और वातावरण मेहमान पक्षियों को आकर्षित करते हैं. उन्होंने बताया श्वेतमुखी हंस नाटे कद का हंस है. इसकी चोंच गुलाबी नारंगी होती है और इसके चोंच के ऊपर सफेद पैच और इसके शरीर पर सफेद धारियों के कारण इसका नाम वाइट फ्रंटेड गूज पड़ा.