Ranchi: हनुमान जी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की. इसी वजह से सुंदरकांड की रचना हुई. हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका गए. लंका के सुंदर पर्वत में अशोक वाटिका थी, जहां हनुमान जी को सीता माता मिली थीं. इस वजह से इस भाग का नाम सुन्दरकांड पड़ा. एक किवदंती भी है कि हनुमान जी की माता उन्हें प्यार से सुंदरा कहती थीं इसलिए वाल्मीकि जी ने इस भाग का नाम सुन्दरकांड रखना ही सही समझा. सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी खुश होते हैं और मन चाहा वरदान देते हैं. सुंदरकांड पाठ मन को शांति देता है और हमारे जीवन से सारे कष्टों और दुखो को मिटा देता है. श्री नरसिंह बांध बालाजी धाम बर्नपुर के संस्थापक संतोष भाई जी ने अपने अनुयायियों को हनुमान चालीसा पाठ के साथ सुंदरकांड पाठ करने का भी आग्रह किया.
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महाराजा अग्रसेन भवन में जारी अखंड सवा लाख श्री हनुमान चालीसा पाठ के आठवें दिन 2 लाख 11 हजार से अधिक हनुमान चालीसा का पाठ किया जा चुका है. सोमवार को मंगला पाठ के बाद पूर्णाहूति होगी. रविवार को आयोजन स्थल पर भजनों की अमृत वर्षा का प्रवाह हुआ. दिल्ली से आए प्रख्यात भजन गायक गौरव पारीक चिड़ावा से आए देवेश पारीक और रेखा पारीक धनबाद से आए मिनी परितोष आसनसोल से आए संजय केडिया और कोलकाता से आए विक्रम शर्मा ने एक के बाद एक भजन गाकर श्रोताओं को हनुमान की भक्ति में डुबकियां लगवाई. करीब 3 घंटे चले भजनों के बाद हनुमान चालीसा के पाठ शुरू हुए. रविवार को सुबह की आरती राजकुमार ने धर्म पत्नी सुनीता अग्रवाल और अमित ने धर्मपत्नी रिचा खीर वालों के साथ की. जब की शाम की आरती गुड्डू तिवारी और सीमा तिवारी वाह अजय खेतान और अर्चना खेतान ने की. रविवार को सवामणी का प्रसाद अशोक मंगल ज्योति पोद्दार कैलाश पालीवाल गोपी किशन ढांडनिया और विनोद पांडेय द्वारा निवेदित किया गया. सुबह और शाम के भंडारे में अजय अग्रवाल प्रमोद अग्रवाल विकास सिन्हा राजेश सरावगी अशोक मंगल और श्याम सेवा ट्रस्ट द्वारा सहयोग दिया गया. अग्रसेन भवन पहुंचकर संतोष भाई जी का आशीर्वाद लेने के लिए दिन भर भक्तों का तांता लगा रहा.
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