Jharia: झरिया (Jharia) 27 दिसंबर 1975. इसी दिन चासनाला कोलियरी के डीप माइंस खान में दिल दहला देने वाली घटना में 375 कामगारों की जिंदगी दफन हो गई थी. इस हादसे ने धनबाद कोयलांचल को ऐसा जख्म दिया, जिसकी टीस आज भी यहां के लोग महसूस करते हैं. 47 वीं बरसी पर मंगलवार को चासनाला कोयला खदान के प्रवेश द्वार के पास मृतकों की याद में स्थापित स्मारक पर कामगारों के परिजन, सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो की धर्मपत्नी तारा देवी भाजपा नेत्री रागिनी सिंह, सेल महाप्रबंधक मोहम्मद अदनान, कोलियरी मैनेजर दीपक कुमार, अजय कुमार,अजय चौधरी, आदित्य सिंह समेत सैकड़ों लोग पहुंचे. सभी ने पुष्प अर्पित कर शहीद कामगारों को श्रद्धांजलि अर्पित की. सेल के अधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, राजनेताओं सहित समाधि स्थल पर सैकड़ों लोगों के हुजूम ने जख्म को हरा कर दिया, मगर एक संदेश भी दिया कि इस त्रासदी को भुलाया नहीं जा सकता.
बचाव का कोई प्रयास भी काम नहीं आया
श्रद्धांजलि सभा में सर्वधर्म प्रार्थना सभा भी हुई. लोगों ने दो मिनट का मौन धारण कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. 27 दिसंबर 1975 के दिन खदान में काम करने जाते समय उन कामगारों ने शायद ही सोचा होगा कि आज वे इस मौत की गुफा से बाहर लौट नहीं पाएंगे. भारत के इतिहास की सबसे बड़ी खान दुर्घटना ने उस समय जन मानस को हिला कर रख दिया था.
पल भर में 375 कामगारों ने ले ली जलसमाधि
अनुमान के आधार पर ही बताया गया था कि इस दुर्घटना में 375 लोगों ने जल समाधि ले ली. कोयले की इस खदान में अचानक कई गैलन पानी छत तोड़ कर घुस आया. इस बाढ़ में कामगार फंस गए. उन लोगों की जान बचाने के लिए अनेक प्रयास किये गये. उस समय आज की तरह बचाव के आधुनिक साधन भी उपलब्ध नहीं थे. लिहाजा मदद के लिए कई जगह बातचीत की गई. बावजूद खदान में फंसे लोगों के पास किसी तरह की मदद नहीं पहुंच सकी. तमाम कोशिशों के बावजूद कामगारों की जान नहीं बचाई जा सकी.
सूनी हो गई मांओं की गोद, उजडा सुहागिनों का सिंदूर
इस खान दुर्घटना के बाद कई मां की गोद सूनी हो गयीं. सुहागिनों की मांग का सिंदूर उजड़ गया. कई बहनों के भाई शहीद हो गए. कई बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया. डीप माइंस खान में प्रथम पाली कार्य के दौरान 375 खनिकों ने कोयला उत्पादन करते हुए जल समाधि लेकर शहादत दी थी. जांच में यह भी साबित हुआ कि दुर्घटना खदान के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा थी. खदान में रिसनेवाले पानी को जमा करने के लिए बांध बनाया गया था. हिदायत भी दी गई थी कि बांध की 60 मीटर की परिधि में ब्लास्टिंग न की जाए. परंतु अधिकारियों ने कोयला उत्पादन के चक्कर में इन निर्देशों को नजरअंदाज कर दिया और हैवी ब्लास्टिंग कर दी. 375 खनिकों की जल समाधि लेने के बाद महीनों तक खदान से पानी निकालने का काम चलता रहा.
हादसे पर बनी फिल्म काला पत्थर ने भी लोगों को झकझोरा
भारत सरकार ने पोलैंड व रूस के वैज्ञानिकों से मदद ली. चासनाला खदान दुर्घटना पर आधारित फिल्म “काला पत्थर” को रुपहले परदे पर भी उतारा गया. फिल्म के दृश्य ने एक बार फिर दर्शकों को झकझोर कर रख दिया था. मशहूर फिल्म निदेशक सह निर्माता यश चोपड़ा, सलीम जावेद की पटकथा पर आधारित अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, शशि कपूर, प्रेम चोपड़ा, राखी, परवीन बाबी, नीतू सिंह, पूनम ढिल्लन जैसे दिग्गज कलाकारों से सुसज्जित यह फ़िल्म उस दौर में ब्लॉकबस्टर हिट हुई थी. फिल्म के जरिये लोगों के समक्ष एक कड़वी सच्चाई उजागर हुई थी, जिसे देख कर लोग लंबे अर्से तक रोमांचित होते रहे.
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