Vinit Upadhyay
Ranchi: कोरोना का प्रकोप शायद अगले कुछ वक्त तक जारी रहेगा. लेकिन जब सब कुछ सामान्य हो जायेगा और हमें अपने कुछ परिचितों और बेहद करीबी लोगों को खोने के गम के साथ अपनी जिंदगी जीनी पड़ेगी. कोरोना ने अब तक कई जिंदगियों को पूरी तरह तबाह कर दिया हैं. और लाखों लोगों को अपना शिकार बनाने के बाद भी इसका विकराल रूप और विनाशकारी होता जा रहा है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए और वकीलों की जिंदगियों को सुरक्षित रखने के लिए झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने राज्य के सभी वकीलों को एक सप्ताह तक न्याययिक कार्यों से अलग रहने का सख्त निर्देश दिया हैं.
शायद फैसला लेने में थोड़ी देर हो गयी
यह फैसला एहतियातन लिया गया है.लेकिन शायद यह फैसला लेने में थोड़ी देर हो गयी. ये हम नहीं कह रहे. ये कहना हैं रांची के उन अधिवक्ताओं का जिन्होंने कोरोना के दूसरे फेज़ में अपने साथी वकीलों को खो दिया हैं. अगर हम सिर्फ रांची जिला बार एसोसिएशन की बात करें तो यहां के 10 अधिवक्ता पिछले 15 दिनों में कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं.
जिला बार भवन बंद कर दिए गए हैं
फिलहाल राज्य भर के जिला बार भवन पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं. कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद बार भवन एक बार फिर खुलेंगा, वकीलों, मुवक्किलों से कचहरी परिसर गुलजार होगा. लेकिन जब बार भवन खुलेगा तब तक रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता अपने आस पास के टेबल के कुछ साथियों को खो चुके होंगे. निर्मम कोरोना के दूसरे फेज़ ने अब तक रांची सिविल कोर्ट के 6 वकीलों और 2 कोर्ट स्टाफ की जान ले ली है.
कोरोना के दूसरे फेज में जिंदगी की जंग हारने वाले वकीलों के नाम
जो अधिवक्ता कोरोना के इस दूसरे फेज़ में अपनी जिंदगी की जंग हार चुके हैं उनमें रांची सिविल कोर्ट के सबसे अनुभवी अधिवक्ता और सिविल कोर्ट के अभिभावक कहे जाने वाले बंशी बाबू, अधिवक्ता अरुण मिश्रा, अधिवक्ता पंकज तिवारी, कुमार कुणाल, मो. फ़िरोज़, मुमताज़ अंसारी, मो शहीद, रूबी परवीन, प्रदीप लाल और अमरेश कुमार का नाम शामिल है. वकालत की प्रैक्टिस के दौरान इनमें से ज्यादातर अधिवक्ता सिविल कोर्ट परिसर में मिलते रहे होंगे. लेकिन अब जब आप कचहरी में वकालत करने जायेंगे तो ये अधिवक्ता आपको कभी नहीं दिखेंगे. क्योंकि ये सभी अपनी ज़िन्दगी की जंग हार चुके हैं.