Adityapur (Sanjeev Mehta) : क्या आदित्यपुर ननि पर भी एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) एफआईआर दर्ज कराएगा ? चूंकि आदित्यपुर में यत्र तत्र कचरे फेंके जा रहे हैं. यहां नदी के किनारे कचरों की डंपिंग धड़ल्ले से की जा रही है. जबकि प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय निदेशक जितेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि उनके कार्यालय से सारे निकायों को कचरा फेंकने के स्थल की स्वीकृति लेने का नोटिस जारी किया गया है, लेकिन सरायकेला नगर पंचायत को छोड़ किसी ने अब तक आवेदन तक नहीं किया है.
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एनजीटी झारखंड सरकार पर लगा सकती है जुर्माना
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उन्होंने कहा कि आदित्यपुर नगर निगम में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों का घोर उल्लंघन हो रहा है. पहला तो यह कि अब तक नगर निगम के द्वारा कचरा निष्पादन स्थल के लिए एनओसी लेने की स्वीकृति तो दूर आवेदन तक नहीं किया गया है, दूसरा नगर निगम के निजी वार्ड में नदी किनारे कचरा डंपिंग किया जा रहा है. जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का सख्त निर्देश है कि किसी भी प्रकार के जल स्रोतों से 500 मीटर ही कचरा आदि इकट्ठा किए जाएं ताकि जल की शुद्धता बची रहे. आपको बता दें कि पहले भी सालडीह में नहीं किनारे कचरा डंपिंग का मामला प्रकाश में आ चुका है. ऐसे में झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी के अनुसार नगर निगम की घोर लापरवाही के लिए एनजीटी झारखंड सरकार पर जुर्माना लगा सकती है. वर्तमान में जहां कचरा डंपिंग किया जा रहा है वह नदी का किनारा है. वर्षों से फेंके जा रहे कचरों से नदी का किनारा भी कम हो गया है. वहां से गुजरने पर लोगों को नाक मुंह बंद करनी पड़ रही है.
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क्या कहते हैं नगर निगम के अधिकारी
कचरा फेंकने की जगह अब तक तय नहीं है. इसलिए नगर निगम ने प्रदूषण नियंत्रण पर्षद कार्यालय को एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया है. यह कहना है कचरा उठाव का काम देख रहे नगर निगम के सिटी प्रबंधक का. उन्होंने कहा कि पूर्व में बागुनहातू में कचरा डंपिंग हो रहा था लेकिन वहां जुस्को ने रोक लगा दी है लिहाजा कचरा घरों से उठाकर कहीं ना कहीं फेंकना हमारी मजबूरी है अन्यथा शहर में महामारी फैल जाएगी. जिला प्रशासन अब तक जहां भी कचरा डंपिंग यार्ड के लिए जमीन दी है उसका सीमांकन और हेंडओवर नहीं हो सका है चूंकि स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं.
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