Patna: बिहार में 7 जनवरी से जातिगत जनगणना शुरू हो चुकी है. बिहार में जातिगत जनगणना कराने के फैसले में सीएम नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. दरअसल नीतीश के इस फैसले के खिलाफ हिंदू सेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. उसने कोर्ट से जातिगत जनगणना कराने के निर्णय के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है. अब इस मामले में 20 जनवरी को सुनवाई होगी. एडवोकेट मुदित कॉल के जरिए दायर की गई याचिका में हिंदू सेना ने कहा है कि नीतीश सरकार जातिगत जनगणना कराकर भारत की अखंडता व एकता को तोड़ना चाहती है. सुप्रीम कोर्ट अब 20 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगा. राज्य सरकार ने पिछले साल 6 जून को जातिगत जनगणना कराने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था. इससे पहले जातिगत जनगणना के नोटिफिकेशन को बिहार निवासी अखिलेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
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7 जनवरी से शुरू हो चुका है सर्वे
बिहार में सात जनवरी से जाति आधारित जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. राज्य में यह सर्वे करवाने की जिम्मेदारी सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को सौंपी गई है. सरकार मोबाइल फोन ऐप के जरिए हर परिवार का डेटा डिजिटली इकट्ठा करने की योजना बना रही है. सर्वे में शामिल लोगों को पहले ही आवश्यक ट्रेनिंग दे दी गई है. यह जनगणना दो चरणों में कराई जायेगी. पहले चरण की जनगणना सात जनवरी से शुरु हो चुकी है. इस सर्वे में परिवार के लोगों के नाम, उनकी जाति, जन्मस्थान और परिवार के सदस्यों की संख्या से जुड़े सवाल होंगे. इसके साथ ही उनके आर्थिक स्थिति और सालाना आय से जुड़े सवाल भी होंगे. दूसरे चरण की जनगणना एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक होगी. इस दौरान जनगणना में शामिल लोगों की जाति, उनकी उपजाति और धर्म से जुड़े डेटा जुटाएगी.
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