– सीएसआर की राशि पाने और खर्च करने में जमशेदपुर और रांची अव्वल
– फिसड्डी रहे गढ़वा और देवघर जिले
– 160 करोड़ रुपये किस मद में और कहां खर्च किए, कोई लेखा-जोखा नहीं
Satya Sharan Mishra
Ranchi: कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानी सीएसआर के तहत कॉरपोरेट कंपनियों को समाज के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में एक राशि खर्च करना अनिवार्य होता है. झारखंड में वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस मद में 210.27 करोड़ रुपये खर्च किये गये. लेकिन इसमें से लगभग 160 करोड़ रुपये किस जिले में और किस मद में खर्च किए गए, इसका कोई लेखा-जोखा केंद्र सरकार के पास नहीं है. हालांकि, केंद्र के पास यह ब्योरा जरूर है कि उक्त राशि किस सेक्टर में खर्च की गई है. दिलचस्प बात यह है कि सीएसआर मद में खर्च की गई राशि का विस्तृत ब्योरा तैयार करना नियमानुसार अनिवार्य है. इसके बावजूद झारखंड में खर्च की गई सीएसआर की राशि को लेकर ऐसा नहीं किया गया. इसका खुलासा तब हुआ जब रांची के सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में इस संबंध में जानकारी मांगी.
लोकसभा में सांसद संजय सेठ ने सीएसआर के तहत झारखंड में हुए कार्यों का लेखा-जोखा मांगा था. इस पर केंद्र सरकार की ओर से जवाब देते हुए केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि झारखंड में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 210.27 करोड़ रुपये खर्च किये गये. इनमें से सिर्फ 49.58 करोड़ रुपये के खर्च का ही हिसाब सरकार के पास है. बाकी 160.69 करोड़ रुपये राज्य के 24 जिलों में कहां और किस मद खर्च हुए हैं, इसका कोई हिसाब-किताब सरकार के पास नहीं है. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सीएसआर डाटा पोर्टल के हवाले से यह जानकारी दी है.–
देवघर और गढ़वा में सिर्फ 0.11 करोड़ रुपये खर्च हुए
रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट कंपनियों से सीएसआर के तहत आर्थिक मदद लेने में रांची और जमशेदपुर जिले अव्वल रहे हैं, जबकि गढ़वा और देवघर जिले फिसड्डी साबित हुए हैं. जमशेदपुर ने सबसे अधिक 12.30 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, वहीं रांची में 11.79 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. गढ़वा और देवघर जिले में महज 0.11 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. किस जिले में कितनी राशि खर्च हुई, सरकार को इसकी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन किस सेक्टर में कितने पैसे खर्च हुए हैं उसका रिकॉर्ड मौजूद है. सरकार के मुताबिक, 210 करोड़ रुपये में से सबसे अधिक 57 करोड़ रुपये स्वच्छता पर खर्च हुए हैं. स्वास्थ्य देखभाल पर 48 करोड़, शिक्षा पर 35 करोड़ और ग्रामीण विकास परियोजनाओं पर 21 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं.
सीएसआर के कार्यों की फाइलिंग जरूरी, फिर भी नहीं रखा रिकॉर्ड
केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि झारखंड में विभिन्न कंपनियों ने सीएसआर के तहत कई कार्य किए हैं. इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, गरीबी, कुपोषण मिटाना, ग्रामीण विकास परियोजनाएं, स्वच्छता, वरिष्ठ नागरिक कल्याण, अनाथालय की स्थापना जैसे कई कार्य शामिल हैं. उन्होंने यह भी बताया कि सीएसआर के कार्यकलापों के ब्योरों की फाइलिंग करना अनिवार्य है. जब कभी सीएसआर प्रावधानों के उल्लंघन की रिपोर्ट प्राप्त होती है तो जांच के बाद ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है. अब कंपनियों द्वारा इसका अनुपालन नहीं करना सिविल अपराध की श्रेणी में आ गया है.
किस जिले में कितनी खर्च हुई सीएसआर की राशि
जिला राशि (करोड़ रुपये में)
पूर्वी सिंहभूम 12.30
रांची 11.79
बोकारो 1.02
चतरा 0.21
देवघर 0.11
धनबाद 6.64
दुमका 1.67
गढ़वा 0.11
गिरिडीह 1.53
गोड्डा 2.70
गुमला 0.26
हजारीबाग 1.52
जामताड़ा 0.05
खूंटी 1.42
कोडरमा 0.74
पाकुड़ 0.50
पलामू 0.01
रामगढ़ 0.38
साहिबगंज 0.18
सरायकेला-खरसावां 2.44
सिमडेगा 0.96
पश्चिमी सिंहभूम 2.95
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किस क्षेत्र में कितनी राशि खर्च हुई
विकास क्षेत्र खर्च (करोड़ रुपये में)
शिक्षा 35.98
स्वास्थ्य 48.38
ग्रामीण विकास 21.81
स्वच्छता 57.56
पशु कल्याण 3.50
शहीदों के आश्रितों को 0.19
कला-संस्कृति 3.30
प्राकृतिक संसाधन संरक्षण 0.16
पर्यावरण 3.42
लैंगिक समानता 0.12
आजीविका योजनाएं 5.51
कुपोषण, गरीबी 14.27
पेयजल 3.97
कौशल विकास 7.55
महिला सशक्तिकरण 0.91
खेल 1.91
विशेष शिक्षा 0.43
स्लम विकास 0.19
सामाजिक-आर्थिक असमानताएं 0.28
क्या है सीएसआर
कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंडिंग और ग्रांट प्रक्रिया है. इसके तहत नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन कॉर्पोरेट सेक्टर से वित्तीय और अन्य सहायता प्राप्त कर सकते हैं. कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कंपनियों के औसत शुद्ध लाभ में 2 प्रतिशत का योगदान प्रदान करना एक अनिवार्य प्रावधान है. सीएसआर को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 की उप-धारा 1 के अनुसार आवश्यक और लागू किया जाता है. इसके अनुसार, जिन कंपनियों की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये या सालाना आय 1000 करोड़ या सालाना लाभ 5 करोड़ रुपये हो तो उनको सीएसआर पर खर्च करना जरूरी होता है. यह खर्च तीन साल के औसत लाभ का कम से कम 2% होना चाहिए. सीएसआर के प्रावधान केवल भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होते हैं, बल्कि यह भारत में विदेशी कंपनी की शाखा और विदेशी कंपनी के परियोजना कार्यालयों के लिए भी लागू होते हैं.
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