- दूसरे भवन में खुला था क्वारंटाइन सेंटर, बाद में आरोग्यम को सौंप दिया
- सीबी सिंह को जिला परिषद में अवैध रूप से किया गया था नियुक्त
Ranchi: हजारीबाग के आरोग्यम सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को गलत तरीके से भवन आवंटित करने का पूरा खेल तत्कालीन डीडीसी जाधव विजया नारायण राव और अभियंता सीबी सिंह के कार्यकाल में हुआ था. सीबी सिंह की जिला परिषद में नियुक्ति ही अवैध रूप से की गई थी. आरोग्यम अस्पताल को सौंपे गए तीन भवनों में से एक इन्हीं दोनों के कार्यकाल में सौंपा गया था. इस भवन में कोरोना काल में क्वारंटाइन सेंटर खोला गया था लेकिन आरोग्यम अस्पताल को लाभ पहुंचाने के लिए उस भवन को अस्पताल के सुपुर्द कर दिया गया. तत्कालीन जिला परिषद अध्यक्ष सुशीला देवी और कई सदस्यों ने इस पर आपत्ति भी जताई थी. महामारी को देखते हुए इस मामले का उस वक्त बड़े पैमाने पर विरोध नहीं किया गया. पूरे प्रकरण को प्रावधानों के तहत सही ठहराने की कोशिश भी की गई. लेकिन मामला सवालों के घेरे में आ चुका है.
सीबी सिंह के इस्तीफे और नियुक्ति की कहानी
सीबी सिंह पहले नगरपालिका में अभियंता थे. 27 जनवरी 2009 को उन्होंने त्यागपत्र दे दिया. नगरपालिका बोर्ड ने उनके इस्तीफे को मंजूर नहीं किया. दरअसल, उस वक्त काम के एवज में लिए गए 51 लाख रुपये उन्होंने नगरपालिका को नहीं लौटाए थे. इससे संबंधित कई पत्र नगरपालिका ने जिला परिषद को लिखे भी थे. उस वक्त नगरपालिका बोर्ड के उपाध्यक्ष मनीष जायसवाल थे. उन्होंने जिला परिषद के अध्यक्ष ब्रजकिशोर जायसवाल को इस बारे में कई बार सूचित भी किया था. इसी बीच 22 मई 2008 को सीबी सिंह की नियुक्ति जिला परिषद में सहायक अभियंता के रूप में कर दी गई. उस वक्त जिला परिषद शिथिल था. इसी का फायदा उठाकर तत्कालीन डीडीसी सुदर्शन प्रसाद सिंह ने चार सदस्यीय बोर्ड का गठन कर सीबी सिंह एवं अन्य लोगों की नियुक्ति कर दी. पंचायती राज अधिनियम के तहत बोर्ड राजपत्रित कर्मी की बहाली नहीं कर सकता. ऐसे में यह नियुक्ति अवैध मानी गई.
तत्कालीन आयुक्त ने डीडीसी से मांगा था जवाब
सीबी सिंह को जिला परिषद में अभियंता के पद पर नियुक्त करने के प्रकरण में मटवारी के अरविंद प्रताप सिंह ने लंबी लड़ाई लड़ी. तमाम ऐसे सबूतों को जुटाकर इसकी शिकायत उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के तत्कालीन आयुक्त डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी से की. आयुक्त ने पूरे मामले पर डीडीसी से सात दिनों के अंदर जवाब मांगा था. आयुक्त ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा था कि चयन प्रक्रिया प्रावधानों के अनुरूप नहीं है. इसके लिए उन्होंने डीडीसी को शोकॉज किया. इसी दौरान उनका तबादला हो गया. पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया. फिर किसी ने आगे की कार्रवाई नहीं की. अभियंता सीबी सिंह जिला परिषद में मजबूत स्थिति में आ गए. फिर जिला परिषद ने जो चाहा, वह किया.
खाता न बही, सीबी सिंह जो कहें, वही सही : प्रियंका कुमारी
पूर्व जिला परिषद सदस्य प्रियंका कुमारी ने कहा कि जिला परिषद में कई बार ऐसा हुआ कि बैठक का एजेंडा मीटिंग के वक्त कुछ और होता था. बाद में एजेंडे की खाली जगह पर खुद तय किए गए मामले चढ़ा दिए जाते थे. उन्हें बोर्ड में पास करा दिया जाता था. उसकी जानकारी अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों को काफी देर बाद मिलती थी. इस पर अध्यक्ष समेत सदस्यों ने हो-हंगामा भी किया. फिर वीडियो रिकॉर्डिंग का प्रावधान किया गया. हालांकि, एजेंडे में छेड़छाड़ जारी रही. इस तरह से कई मामले में अपने मनमुताबिक काम कराए जाते रहे. उसे बोर्ड में पास कराया बता दिया जाता. आरोग्यम का भी कुछ ऐसा ही मामला है, जिसमें तीन-तीन भवन दिए जाने के प्रकरण में खूब खेल किया गया. प्रियंका कुमारी ने कहा कि खाता न बही, सीबी सिंह जो कहें, वही सही.