Ranchi : सूबे का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स है और यहां दूर-दूर से लोग इलाज कराने आते हैं. और रिम्स में बेहतर चिकित्सा व्यवस्था का दावा भी किया जाता है. लोग यहां जीने की उम्मीद लेकर आते हैं. कई मरीजों के लिए रिम्स वरदान भी साबित होता है. सरकार का भी दावा है कि रिम्स में हरसंभव बेहतर इलाज की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन जो तस्वीर हम दिखा रहे हैं, वो सूबे के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स प्रबंधन पर सवाल खड़ा करता हैं. न्यू ट्रॉमा सेंटर में देर रात 11:30 बजे के करीब 1 घंटे के लिए बत्ती गुल होते ही मरीजों की जान सांसत में आ गयी. लाइट कटते ही परिजनों की भी बेचैनी बढ़ने लगी.
ट्रॉमा सेंटर में चीख पुकार के बीच अटकने लगी सांसे
लाइट कटते ही मरीजों की सांसे अटकने लगी. ट्रॉमा सेंटर में भर्ती मरीज के परिजनों की घबराहट भी बढ़ने लगी. मरीज के परिजन हाथ वाले पंखे से अपने मरीज को हवा हांक रहे थे. जबकि कई परिजन अपने मरीज को ढांढस दे रहे थे. वार्ड में भर्ती सभी मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.
मरीजों को भुगतना पड़ सकता है लापरवाह रिम्स प्रबंधन का खामियाजा
रिम्स में लापरवाही आम बात हो गई है. सोमवार को मैनीफोल्ड सिस्टम से सप्लाई किए जाने वाले ऑक्सीजन का सिलेंडर खत्म हो गया. आनन-फानन में दो जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर से सप्लाई शुरू किया गया. वहीं उसी बीच ट्रॉमा सेंटर में बत्ती गुल होने से मरीजों के बीच अफरा-तफरी का माहौल उतपन्न हो गया. ऐसे में सवाल उठता है कि रिम्स प्रबंधन व्यवस्था पर कितना पर्दा डालेगा. तस्वीर हालात की सच्चाई को बयां करती है.