SC ने दिल्ली में मरीजों की जान बचाने के लिए बीएमसी मॉडल अपनाने की सलाह दी . मुंबई में ऑक्सीजन सप्लाई मॉडल का श्रेय बीएमसी कमिश्नर आईएस चहल को जाता है
MumbaI : पूरे देश में जब ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा है, लोगों की जानें जा रही है, ऐसे में मुंबई से अच्छी खबर आयी है. खबर है कि कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित मुंबई में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत का मामला सामने नहीं आया है. जान लें कि 17 अप्रैल को कई अस्पताओं में ऑक्सीजन खत्म हो गयी थी. बीएमसी की टीम ने रातों-रात 168 मरीजों को सकुशल दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर दिया. साथ ही घाटकोपर के हिंदू सभा अस्पताल को डेढ़ घंटे के भीतर ऑक्सीजन उपलब्ध करा दिया गया
यहांतक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को मुंबई में बीएमसी के ऑक्सीजन सप्लाई मॉडल की तारीफ की . SC ने दिल्ली में मरीजों की जान बचाने के लिए बीएमसी मॉडल अपनाने की सलाह दी . बता दें कि मुंबई में ऑक्सीजन सप्लाई मॉडल का श्रेय बीएमसी कमिश्नर आईएस चहल को जाता है.
ऑक्सीजन संकट को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई
ऑक्सीजन संकट के मुद्दे पर केंद्र सरकार की अर्जी पर कल बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सुझाव दिया कि ऑक्सीजन सप्लाई के लिए मुंबई मॉडल अपनाया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा, मुंबई में बीएमसी ने ऑक्सीजन के मैनेजमेंट के लिए अच्छा काम किया है. उनकी तारीफ हो रही है. वह क्या कर रहे हैं, कैसे काम चला रहे हैं, हम उनसे सीख सकते हैं. हालांकि हम दिल्ली का अपमान नहीं कर रहे है.
मुंबई में बीएमसी ने कैसे काम किया
आईएस चहल ने एफडीए व ऑक्सीजन निर्माता कंपनियों और सप्लायरों को सख्त निर्देश दिया कि आपूर्ति होने वाले 235 मीट्रिक टन ऑक्सिजन में कमी नहीं आनी चाहिए. साथ ही आपात स्थिति में ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी . अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई कैसे होगी, इसके लिए बीएमसी ने गाइडलाइंस जारी की .
इसी के तहत, अस्पतालों में निर्बाध रूप से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. जानकारी के अनुसार आइनॉक्स कंपनी से 130 मीट्रिक टन और लिंडे कंपनी से 103 मीट्रिक टन ऑक्सिजन की आपूर्ति होती है. लिंडे कंपनी में एक दिन कुछ तकनीकी खराबी आने पर चहल ने रायगड की जिंदल कंपनी से बैकअप का प्लान बी तैयार कर लिया था. हालांकि उसकी नौबत नहीं आयी, क्योंकि सप्लाई नॉर्मल हो गयी.
सही समय पर कमिश्नर ने लिया फैसला
बता दें कि जब देश में ऑक्सीजन को लेकर किल्लत शुरू हुई, उसी क्रम में चहल ने बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त (प्रॉजेक्ट) पी वेलरासू को अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता की कमांड सौंपी. वेलरासू के नेतृत्व में चार बीएमसी अधिकारियों की टीम का गठन हुआ, जो अस्पतालों से समन्वय का काम कर रहे हैं. अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि ऑक्सीजन की कमी के बारे में बीएमसी को सूचित करें.
आईएएस अधिकारी के नेतृत्व में सप्लाई टीम बनी
बता दें कि लगभग 170 अस्पतालों में 30 हजार बेड कोरोना मरीजों के लिए हैं. यहां प्रतिदिन 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई होती है. वेलरासू का काम यह देखना है कि किस अस्पताल में कितना ऑक्सीजन चाहिए. सप्लाई कैसे की जा सकती है. वेलरासू की टीम में उपायुक्त (विशेष) संजोग कबरे, चीफ इंजीनियर कृष्णा पेरेकर, कार्यकारी अभियंता संजय शिंदे और मेडिकल ऑफिसर डॉ. हरिदास राठौड़ शामिल हैं.
बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी के अनुसार बीएमसी ने कोरोना से निपटने के लिए हर तैयारी की है. ऑक्सीजन ही नहीं, वेंटिलेटर बेड व दवाइयों की भी मुंबई में कभी कमी नहीं रही. सुप्रीम कोर्ट ने हमारे मॉडल की तारीफ की, यह पूरी मुंबई के लिए फक्र की बात है.