- 1932 खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति की मांग, तय किया कार्यक्रम
- 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे
- 18 अप्रैल को मशाल जुलूस निकालेंगे
- 19 अप्रैल को झारखंड बंद का आह्वान
Ranchi : झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन समेत छात्र नेताओं ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति की मांग को लेकर 19 अप्रैल को झारखंड बंद का आह्वान किया है. इससे पहले 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे. वहीं 18 अप्रैल को बंद की पूर्व संध्या पर मशाल जुलूस निकालेंगे. बुधवार को झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन के छात्र नेता देवेंद्र नाथ महतो, मनोज यादव, योगेश भारती व सूरज मंडल के साथ कई छात्र नेताओं ने बैठक की. बैठक में यह निर्णय लिया गया. बताया गया कि अपनी मांगों व हक- अधिकार के लिए 17, 18, 19 अप्रैल को 72 घंटे का आंदोलन करेंगे. तय किया गया कि 60- 40 वाली नियोजन नीति का विरोध करने के लिए वे लोग बड़ी संख्या में छात्रों के साथ सड़कों पर उतरेंगे.
आदिवासी छात्र संघ का भी समर्थन
बैठक में छात्र संगठनों से इसमें शामिल करने की अपील करते हुए बताया गया कि 17 अप्रैल को हेमंत सोरेन कैबिनेट की बैठक होनी है. उस दिन मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए राज्य भर से छात्र रांची पहुंचें. वहीं 18 अप्रैल को मशाल जुलूस निकाला जाएगा. 19 अप्रैल को झारखंड बंद करेंगे. इस मौके पर आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष सुमित उरांव के साथ अन्य छात्र संगठनों के कई छात्र नेताओं ने सभी जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों से कार्यक्रम में आने की अपील की.
झारखंडियों के लिए कॉलम बनाया जाये
छात्र नेताओं ने कहा कि जिस तरीके से बिहार में नीतीश कुमार की कैबिनेट में फैसला लिया गया कि सभी नियुक्तियों में बिहारियों का कॉलम बना रहेगा, उसी तरीके से झारखंड में भी झारखंडियों के लिए कॉलम बनाया जाए. अन्यथा छात्र सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करते रहेंगे.
इधर झामुमो ने कहा- सीएम नहीं, भाजपा कार्यालय का घेराव करें छात्र
वहीं दूसरी तरफ जेएमएम के नेता मनोज पांडे ने कहा है कि छात्र मुख्यमंत्री आवास घेराव के बदले बीजेपी कार्यालय का घेराव करें, क्योंकि राज्य सरकार ने 1932 खतियान को लागू कर इसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेज चुकी है. घेराव करना ही है तो छात्र संगठन और बेरोजगार छात्र भाजपा कार्यालय का घेराव करें. उनसे सवाल पूछें कि आखिर वह 1932 खतियान के समर्थन में है या विरोध में.
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