Gomoh : रेल नगरी गोमो में ब्रिटिश शासन काल में बने रेलवे फुटबॉल ग्राउंड समेत तीन खेल मैदानों का अस्तित्व खतरे में है. बच्चों के खेलने का स्थान चिल्ड्रन पार्क में तो रेलवे कर्मचारियों के लिए क्वार्टर बना दिया गया. वहीं, देखरेख के अभाव में फुटबॉल मैदान की स्थिति कचरा डंपिंग यार्ड जैसी हो गई है. मैदान में जगह-जगह कचरे का ढेर है. बच्चे गंदगी व कचरों के बीच खेलने को मजबूर हैं. खेलों के प्रति रेलवे के नकारात्मक रवैए का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले करीब 30 वर्षों से यहां किसी खेल का आयोजन नहीं हुआ है. इससे यहां के प्रतिभावान खिलाड़ी भी कुंठाग्रस्त होते जा रहे हैं.
मेला व अन्य आयोजनों में पंडाल आदि के निमार्ण के लिए फुटबॉल मैदान में जगह-जगह गड्ढे खोद दिए गए हैं. मैदान में खेल के दौरान छोटे बच्चे इन गड्ढों में गिरकर अक्सर घायल हो जाते हैं. लेकिन जिम्मेदारों ने इन गड्ढों को भरने की जरूरत भी नहीं समझी.
रेलवे में खेल कोटे से भर्ती खिलाड़ियों में भी मायूसी
सरकार व रेलवे की ओर से बच्चों को खेल के साधन उपलब्ध कराना तो दूर, फुटबॉल मैदान का रखरखाव भी नहीं किया जा रहा है. गोमो रेलवे में राज्य व राष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी खेल कोटे से भर्ती होकर नौकरी कर रहे हैं, लेकिन खेलों का आयोजन बंद होने से वे भी मायूस हैं. गोमो के समाजसेवी विश्वनाथ शर्मा व जिला परिषद सदस्य प्रतिनिधि हीरामन नायक ने कहा कि रेल प्रशासन का इस मैदान के विकास पर तनिक भी ध्यान नहीं है. यदि यही स्थिति रही तो एक दिन इसका अस्तित्व ही मिट जाएगा.
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