Kolkata : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें अदालत से अपने पहले के आदेश को वापस लेने का आग्रह किया गया था. इस आदेश में कहा गया था कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी जांच एजेंसियां शिक्षक भर्ती घोटाले में अभिषेक बनर्जी से पूछताछ कर सकती हैं.
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घोटाले के आरोपी कुंतल घोष पर भी जुर्माना लगाया
न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने याचिका खारिज करते हुए अभिषेक बनर्जी पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और इतनी ही राशि का जुर्माना घोटाले के आरोपी कुंतल घोष पर भी लगाया.बता दें कि कुंतल घोष पश्चिम बंगाल के सरकारी एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में भर्तियों में कथित अनिमियतता को लेकर सीबीआई की हिरासत में हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय का पिछला आदेश वापस लेने का आग्रह करने वाली याचिका के खारिज होने के बाद सीबीआई और ईडी चाहें तो अभिषेक बनर्जी से शिक्षक भर्ती घोटाले में पूछताछ कर सकती हैं.
TMC National General Secretary Abhishek Banerjee to move the Supreme Court challenging the Calcutta High Court order allowing central agencies ED & CBI to question him in the Kuntal Ghosh letter case
(file photo) pic.twitter.com/5qLT0v5Jje
— ANI (@ANI) May 18, 2023
केंद्रीय एजेंसियां घोष के साथ-साथ अभिषेक बनर्जी से पूछताछ कर सकती हैं
अभिषेक बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे हैं. घोष की ओर से की गयी शिकायत के बाद अभिषेक बनर्जी का नाम सामने आया था. घोष ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि केंद्रीय एजेंसियां भर्ती मामले में अभिषेक बनर्जी का नाम लेने का उन पर दबाव बना रही हैं. न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने अपने 13 अप्रैल के आदेश में कहा था कि केंद्रीय एजेंसियां घोष के साथ-साथ अभिषेक बनर्जी से पूछताछ कर सकती हैं. डायमंड हार्बर से टीएमसी सांसद बनर्जी ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
उनके वकील ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की ओर से एक समाचार चैनल को दिये साक्षात्कार का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कथित रूप से टीएमसी नेता के खिलाफ टिप्पणी की थी. उच्चतम न्यायालय के 28 अप्रैल के आदेश पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने दो मामलों– सौमेन नंदी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और रमेश मलिक बनाम पश्चिम बंगाल राज्य– को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की अदालत से वापस लेकर न्यायमूर्ति सिन्हा को सौंप दिया था.